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सबसे पहले आश बाल विकास केन्द्र के निदेशक एवम् ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट सुश्री श्रुति मोरे द्वारा चीफ गेस्ट को थेरेपी बस तथा बस में उपलब्ध सभी चिकित्सा उपकरणों के बारे में बताया गया कि किस तरह ये बस दूरदराज के क्षेत्रों में दिव्यांग बच्चों को सहायता करेगी और आश बाल विकास केन्द्र के द्वारा आयोजित होने वाले कैंप्स में इस बस को ले जाया जाएगा। उसके बाद शिक्षा मंत्री द्वारा बस तथा बस के अंदर सभी चिकित्सा उपकरणों का मुआयना किया गया।
अंत में मुख्य अतिथि द्वारा उन बच्चों को ईनाम दिए गए जिन बच्चों ने आश बाल विकास केन्द्र द्वारा दिव्यांगता पर आयोजित ऑनलाइन भाषण प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त किया था। प्रतियोगिता तीन आयु वर्गों में करवाई गई थी, जिसमें 6 से 12 वर्ष के आयु वर्ग में आरुषि ठाकुर प्रथम, उदय भानु द्वितीय तथा साक्षी को प्रसंशा पत्र और 12 से 20 के आयु वर्ग में रूथ बारजो को प्रथम, ऋषि आहूजा को द्वितीय तथा नवम शर्मा को तृतीय पुरस्कार से नवाजा गया। 20 से उपर के आयु वर्ग में स्मृति प्रथम तथा शीला ठाकुर द्वितीय रहे। साथ ही साथ बलवीर सिंह, सोनिया, आध्या कपूर व अंकिता ठाकुर को प्रशंसा पत्र से नवाजा गया। इस पूरे कार्यक्रम के दौरान प्रोग्राम मैनेजर श्री बीजू द्वारा माइक के माध्यम से मुख्य अतिथि तथा सभी दर्शकों को बस के बारे में बताया। इस मौके पर श्री सुरेन्द्र शौरी विधायक बंजर विधानसभा क्षेत्र, डॉ. ऋचा वर्मा, उपायुक्त कुल्लू , श्री गौरव सिंह पुलिस अधीक्षक कुल्लू तथा श्री राजकुमार चंदेल ए. एस.पी. कुल्लू विशेष रूप पर मौजूद रहे।

थेरेपी ऑन व्हील्स एक मोबाइल थेरेपी क्लिनिक है जिसमें एक ऐसा सेटअप है जो विभिन्न प्रकार की थेरेपी जैसे कि फिजियोथेरेपी, ऑक्यूपेशनल थैरेपी तथा स्पीच थेरेपी दूरदराज के क्षेत्रों में दिव्यांग बच्चों को प्रदान करेगा । बस को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि इसमें सभी चिकित्सा उपकरण होंगे जैसे कि ट्रेडमिल, थैरेपी वॉल , खिलौने, व्हीलचेयर, विस्तृत फर्श, छत व अन्य सहायक उपकरण।

थेरेपी बस लोगों में जागरूकता फैलाने में भी सक्रिय भूमिका निभाएगी और विशेष रूप से दिव्यांग बच्चों को चिकित्सा प्रदान करने के महत्व के बारे में जानकारी देगी। चिकित्सा के साथ- साथ थैरेपी बस लोगों को दिव्यांगता के प्रति जागरूक भी करवायेगी। ऐसा करने के लिए, एक इन-बिल्ट प्रोजेक्टर का उपयोग किया जाएगा जो स्थानीय निवासियों को दिव्यांगता की शुरुआती पहचान और दिव्यांगता के हस्तक्षेप के महत्व पर शिक्षित करने में सहायता करेगा। कोविड -19 के इस समय में तो यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि बच्चे चिकित्सा के लिए केंद्र में नहीं आ सकते हैं।