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डी, 7 सितंबर : मंडी जिला की चच्योट तहसील के चलाहर-गुलाड गांव के किसानों के लिए लाल सोने (टमाटर) की खेती बेहद मुनाफे का सौदा सिद्ध हुई है। यहां के 142 किसानों ने हिमाचल प्रदेश फसल विविधीकरण प्रोत्साहन परियोजना से मदद पाकर वर्तमान सीजन के दौरान अपने टमाटर की उपज से लगभग 5 करोड़ 12 लाख 40 हजार रुपये की कमाई की है। बता दें, ये परियोजना जापान इंटरनेशनल कोर्पोरशन एजेंसी (जाइका) के सहयोग से लागू की गई है।
जिला परियोजना प्रबंधक, मंडी, डॉ. नवनीत सूद ने यह जानकारी देते हुए बताया कि चलाहर गुलाड गाँव में 142 किसान परिवारों हैं, जिनमें से अधिकतर किसानों ने इस खरीफ मौसम में 34.20 हेक्टेयर क्षेत्र में टमाटर की खेती की और प्रति बीघा 140-150 क्रेट का उत्पादन किया। टमाटर उत्पादन में किसानों को औसतन प्रति क्रेट 800 रुपये मिले, जिसमें एक क्रेट 23 किलोग्राम की थी ।
ये सब्जी उत्पादक पठानकोट, चंडीगढ़, हरियाणा, अमृतसर और जालंधर के एपीएमसी में अपनी उपज बेच रहे हैं। इस परियोजना के किसानों ने वर्तमान सीजन के दौरान अपने टमाटर की उपज से लगभग 5,12,40,000 रुपए की कमाई की है।
उन्होंने कहा कि परियोजना के तहत प्रदान की गयी सिंचाई सुविधाएं, किसानों को सब्जी उत्पादन का आधुनिक एवं तकनीकी ज्ञान, संग्रहण से विक्रय तक की जानकारी के कारण चलाहर गुलाड गाँव के किसानों की वार्षिक आय में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है ।
डॉ. नवनीत सूद के अनुसार इस परियोजना के माध्यम से किसानों की वार्षिक आय जोे परियोजना के लागू होने से पहले लगभग 77 हजार रुपए थी वो अब बढ़कर लगभग 5.4 लाख हो गई है जो की 7 गुना वृद्धि को दर्शाता है।
उन्होने बताया कि वर्ष 2019-20 के दौरान कुल 49.10 हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ सीजन व 44.80 हेक्टेयर क्षेत्र में रबी सीजन की फसलें लगाई गयी जिसमें खरीफ सीजन में 3.19 लाख रुपये व रबी सीजन में 2.24 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर आय प्राप्त हुई।
उन्होंने कहा कि किसानों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार की गतिविधियां जैसे समय समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम और प्रक्षेत्र प्रदर्शनों का आयोजन किया गया था, जिसमें विभाग द्वारा सब्जियों की वैज्ञानिक रूप से खेती की गई थी।
परियोजना के किसानों को जाईका द्वारा उपलब्ध कराए गए लाभों जैसे कि निशुल्क बीज, सिंचाई की सुनिश्चित आपूर्ति, फव्वारा सिंचाई विधि जैसी विभिन्न सिंचाई सुविधाएं और पावर टिलर, ब्रशकटर, नैप सैकस्प्रे, स्प्रे पंप जैसी कृषि मशीनरी को अपनाकर वाणिज्यिक पैमाने पर सब्जियां उगाने के लिए प्रोत्साहित किया गया ।
हिमाचल प्रदेश फसल विविधीकरण प्रोत्साहन परियोजना के तहत सभी लाभार्थी किसान जिन्होंने सभी गतिविधियों और प्रशिक्षण को कुशलता से किया है, वे लाभान्वित हुए हैं और उनकी उत्पादकता का स्तर बढ़ा है।
उन्होंने कहा कि अब तक कुल कृषि योग्य क्षेत्र में से 20 प्रतिशत क्षेत्र को फसल विविधीकरण के अन्तर्गत लाने के लक्ष्य के मुकाबले 78 प्रतिशत क्षेत्र को फसल विविधीकरण के अन्तर्गत लाया जा चुका है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश फसल विविधीकरण प्रोत्साहन परियोजना, जापान इंटरनेशनल कोर्पोरशन एजेंसी (जाइका) के सहयोग से हिमाचल प्रदेश के पांच जिलों मंडी, कांगड़ा, हमीरपुर, बिलासपुर और ऊना में लागू की गई है।
इस परियोजना के माध्यम से जिला मंडी में 62 उप परियोजनाओं में 1261.46 हेक्टेयर कृषि योग्य क्षेत्र को सुनिश्चित सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाई गई है।
डॉ. सूद ने कहा कि यह परियोजना राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक है, जिसका उद्देश्य क्षेत्र में आवश्यक आधारभूत संरचनाओं का विकास करते हुए फसल विविधीकरण को प्रोत्साहन देना व किसानों की आय को बढ़ाना है।
जिला परियोजना प्रबंधक ने कहा कि तहसील चच्योट की ग्राम पंचायत नौण की प्रचलित बहाव सिंचाई योजना-चलाहर गुलाड का कुल कृषि योग्य क्षेत्र 57.07 हेक्टेयर है। व्यवसायिक पैमाने पर यह क्षेत्र टमाटर, फ्रेंचबीन, गोभी, लहसुन और मटर जैसी नकदी फसलों की वृद्धि के लिए उपयुक्त है।