एनएचपीसी देश भर में अपनी जलविद्युत परियोजनाओं के माध्यम से भारत सरकार द्वारा निर्धारित नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों
को प्राप्त करने में योगदान देने के लिए समर्पित है। जलविद्युत परियोजनाएं न केवल भारत की ऊर्जा सुरक्षा में योगदान करती
हैं, बल्कि पर्यावरण की स्थिरता भी सुनिश्चित करती हैं। 6971 मेगावाट की कुल क्षमता वाले 22 जलविद्युत पावर स्टेशन को
जोड़ने की अपनी यात्रा में, एनएचपीसी जलविद्युत विकास और संचालन के सभी पहलुओं में एक जिम्मेदार कॉर्पोरेट संगठन
और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील रही है। इस प्रयास के नेतृत्व को सफल बनाने में अरुणाचल प्रदेश राज्य में आने वाली
2880 मेगावाट की दिबांग बहुउद्देशीय परियोजना है।
दिबांग बहुउद्देश्यीय परियोजना अरुणाचल प्रदेश और असम के डाउनस्ट्रीम क्षेत्रों में हरित ऊर्जा उत्पादन और बाढ़ नियंत्रण के
अलावा बुनियादी ढांचे के विकास और सामाजिक-आर्थिक विकास के मामले में क्षेत्र में समग्र समृद्धि लाने में सहायक होगी।
दिबांग परियोजना के लिए अपेक्षित उचित प्रक्रिया और सभी वैधानिक आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद वन मंजूरी दी गई
थी। यह भी उल्लेखनीय है कि यह परियोजना इस क्षेत्र के किसी भी राष्ट्रीय उद्यान का अतिक्रमण नहीं करती है। पर्यावरण, वन
और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 15.04.2015 को वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 के तहत वन मंजूरी
(एफसी-I) की सैद्धांतिक मंजूरी दी गई थी, जिसमें प्रस्तावित जलाशय के किसी भी किनारे को राष्ट्रीय उद्यान के रूप में
निर्धारित नहीं किया गया है। एफसी-I से पहले, केंद्र सरकार द्वारा गठित वन सलाहकार समिति (एफएसी) ने बिजली उत्पादन
बनाम वनभूमि की आवश्यकता के संबंध में एक अतिरिक्त अध्ययन के लिए परियोजना पर विचार किया था। इस अध्ययन में,
यह स्थिति देखी गई कि जब बांध की ऊंचाई 10 मीटर कम हो जाती है तो लगभग 500 हेक्टेयर वन भूमि में भी कमी आती है
और 120 मेगावाट बिजली उत्पादन भी कम होता है। इसलिए, परियोजना की बांध की ऊंचाई 10 मीटर (288 मीटर से 278
मीटर) कम कम करने के साथ स्थापित क्षमता 3000 मेगावाट से 2880 मेगावाट कर दी गई जिससे वन भूमि की आवश्यकता
को 5056.5 हेक्टेयर से घटाकर 4577.84 हेक्टेयर तक कर दिया गया।
एफसी-I की शर्तों के अनुपालन में, एनएचपीसी ने सितंबर 2019 में राज्य प्रतिपूरक वनरोपण निधि प्रबंधन एवं योजना
प्राधिकरण (CAMPA) खाते में 628.68 करोड़ रुपये की राशि जमा की जोकि शुद्ध वर्तमान मूल्य (380.08 करोड़ रुपये),
प्रतिपूरक वनरोपण (213.44 करोड़ रुपये), जलग्रहण क्षेत्र उपचार योजना (23.95 करोड़ रुपये) और वन्यजीव प्रबंधन
योजना (11.21 करोड़ रुपये) के लिए था। दिसंबर 2019 में 211.5 लाख रुपये की अतिरिक्त राशि जमा की गई जोकि क्षेत्रीय
वन्यजीव संरक्षण योजना (152.19 लाख रुपये) व Avi-fauna के लिए वैकल्पिक आवास/घर (59.31 लाख रुपये) के लिए
था।
वन मंजूरी (एफसी -II) का अंतिम अनुमोदन पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 12.03.2020 को राज्य
सरकार द्वारा एफसी-I में निर्धारित अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद जारी किया गया था। यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है
कि मेहाओ वन्यजीव अभयारण्य और दिबांग वन्यजीव अभयारण्य इस परियोजना के जलाशय परिधि से क्रमशः लगभग 14
किलोमीटर और 35 किलोमीटर दूर स्थित हैं। अत: इन अभ्यारण्यों का कोई भी भाग न तो निर्माण गतिविधियों के कारण और
न ही जलमग्न होने के कारण प्रभावित होगा।
वन मंजूरी की शर्तों में निर्धारित सुरक्षा उपायों के साथ पर्यावरण प्रबंधन योजनाओं को परियोजना निर्माण शुरू होने के बाद
राज्य सरकार और अन्य विशेषज्ञ एजेंसियों के सहयोग से लागू किया जाएगा।