प्रदेश के हस्तशिल्प में 50 सालों में आया ऐतिहासिक बदलावः मुख्यमंत्री
कुल्लू में बुनकर सेवा व डिजाइन रिसोर्स केन्द्र की स्थापना की जाएगी जो राज्य के खूबसूरत हस्तशिल्प उत्पादों को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में इनके निर्यात के लिए बेहतर मंच प्रदान करेगा।
केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग तथा कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल ने आज कुल्लू के अटल सदन में हिमाचल प्रदेश के पूर्ण राज्यत्व के स्वर्णिम जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में सेवा व समर्पण अभियान के अंतर्गत हस्तशिल्प एवं हथकरघा कारीगरों के साथ एक संवाद कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए यह घोषणा की। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।
पीयूष गोयल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में हस्तशिल्प की अपार संभावनाएं मौजूद हंै। बुनकर सेवा केन्द्र में कारीगरों का कौशल उन्ययन, उन्हें आधुनिक उपकरण प्रदान करना व नए डिजाईन तैयार करने का प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यदि इस केन्द्र के लिए पहले से तैयार कोई भवन उपलब्ध है तो इसका संचालन तुरन्त आरम्भ कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि डिजाइनिंग, गुणवत्ता, पैकेजिंग तथा विपणन को आधुनिक बनाने पर और अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि बुनकरों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपने उत्पादों के बढि़या दाम मिले।
केन्द्रीय मंत्री ने प्रदेश के उत्पादों का बड़े शहरों के अलावा कपड़ा उद्योग से जुड़े लोगों तथा पांच सितारा होटलों में जिलावार प्रदर्शनियां आयोजित करने का सुझाव दिया ताकि इनकी ब्रैण्डिग राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो। उन्होंने बुनकरों से कहा कि वे अपना टेªडमार्क प्राप्त करें जिसके लिए केन्द्र सरकार ने पंजीकरण शुल्क 80 फीसदी कम कर दिया है। केन्द्र सरकार ने हस्तशिल्प वस्तुओं के प्रोत्साहन के लिए एक समिति का गठन भी किया है जो इनकी गुणवत्ता, डिजाईन व विपणन को बेहतर बनाने के सुझाव सरकार को देगी। उन्होंने इसी प्रकार की समिति हिमाचल प्रदेश में गठित करने का सुझाव दिया।
पीयूष गोयल ने जिला के उद्यमियों के साथ परस्पर संवाद किया। उन्होंने स्थानीय हस्तशिल्प व हथकरघा कारीगरों को वुड क्राॅफ्ट, हथकरघा, कढाई मशीन व प्रमाण पत्र भी वितरित किए।
मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश के कारीगरों को प्रोत्साहित करने की दिशा में आवश्यक कदम उठाए गए हैं। प्रदेश में वर्तमान में 13572 पंजीकृत बुनकर हैं जिनकी आजीविका बुनाई व कढ़ाई के हुनर से जुड़ी है। उन्होंने कहा कि कुल्लू शाॅल व टोपी सहित चंबा रूमाल व किन्नौरी शाॅल को जी.आई. टैग मिल चुके हैं। बुनकरों के लिए आॅनलाइन बिक्री मंच की सुविधा प्रदान करने के लिए फ्लिपकार्ट के साथ समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किया गया है जिसके माध्यम से प्रदेश के उत्पादों एवं कला को पहचान मिलेगी। इसके अलावा विभाग भी उत्पादों की आॅनलाइन बिक्री कर रहा है।
जय राम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में हस्तशिल्प व हथकरघा उत्पादों के डिजाइन व गुणवत्ता में बीते 50 सालों में बहुत बड़ा बदलाव आया और इनका वाणिज्यिक उपयोग कर हजारों परिवारों ने इसे आजीविका का साधन बना लिया है। कुल्लू के हस्तशिल्प विशेषकर टोपी व शाॅल की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान है। दिल्ली की संसद में कुल्लवी टोपी अक्सर देखी जा सकती है। कोई भी राष्ट्राध्यक्ष जब भारत आता है तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कुल्लवी टोपी व मफलर से उनका स्वागत करते हैं और इससे हिमाचल प्रदेश का गौरव बढ़ता है। उन्होंने बुनकरों से कहा कि पारम्परिक परिधानों का संरक्षण करना जरूरी है क्योंकि ये हमारी संस्कृति से भी जुड़े हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड संकट के दौरान पर्यटन व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुआ और हथकरघा व्यवसाय भी इससे अछूता नहीं रहा है। प्रदेश में 20 हजार से ज्यादा शिल्पकार हैं जिन्हें परोक्ष रूप से नुकसान पहुंचा है। प्रदेश में कोविड का बेहतर प्रबंधन किया गया और मरीजों को आॅक्सीजन व बिस्तरों की कमी नहीं आने दी गई। उन्होंने आॅक्सीजन आपूर्ति को 45 मीट्रिक टन तक बढ़ाने के लिए केन्द्र सरकार का आभार व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि प्रदेश की सौ फीसदी पात्र आबादी को कोरोना की पहली डोज प्रदान करने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य बना है। उन्होंने कहा कि दूसरी डोज प्रदेश के 47 प्रतिशत लोगों को प्रदान की जा चुकी है और नवम्बर अंत तक सौ फीसदी आबादी को दोनों डोज देने के लिए भी प्रदेश देश का पहला राज्य बनेगा। प्रदेश के लिए बुनकर सेवा व डिजाईन रिसोर्स केन्द्र प्रदान करने की उनकी मांग को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री ने पीयूष गोयल का आभार व्यक्त किया।