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माननीय प्रधानमंत्री, नरेन्द्र मोदी की अध्यवक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने हिमाचल प्रदेश के शिमला एवं कुल्लूर जिलों में सतलुज नदी पर निर्मित की जा रही एसजेवीएन की 210 मेगावाट की लूहरी चरण-। जलविद्युत परियोजना के लिए 1810.56 करोड़ रुपए के निवेश का अनुमोदन प्रदान किया है। इसमें इनेबलिंग इंफ्रास्ट्र क्चगर के लिए भारत सरकार से 66.19 करोड़ रुपए की बजटीय सहायता भी शामिल है जिससे विद्युत टैरिफ को कम करने में सहायता मिली है।

एसजेवीएन के अध्यइक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री नंद लाल शर्मा ने बताया कि लूहरी जलविद्युत परियेाजना को प्रारंभ में एकल चरण परियोजना के रूप में परिकल्पित किया गया था तथा हिमाचल प्रदेश सरकार के साथ एमओयू दिनांक 27.10.2008 को हस्ता्क्षरित किया गया था। मार्च,2015 में, हिमाचल प्रदेश सरकार ने एसजेवीएन को लूहरी जलविद्युत परियोजना की समीक्षा तथा बहुचरणीय परियेाजना के रूप्‍ में संभावना तलाशने का परामर्श दिया। तदनुसार, परियोजना को तीन चरणों यथा 210 मेगावाट लूहरी चरण-। जलविद्युत परियोजना, 172 मेगावाट लूहरी चरण-।। जलविद्युत परियोजना एवं 382 मेगावाट सुन्नीम बांध जलविद्युत परियोजना के रूप में पुन: डिजाईन किया गया तथा सभी तीन परियेाजनाएं एसजेवीएन को दिनांक 29.08.2017 को पुन: आबंटित की गई।

इसके पश्चा्त, माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्रय मोदी की गरिमामयी उपस्थिति में, राईजिंग हिमाचल ग्लो0बल इनवेस्ट:र मीट 2019 के दौरान स्टैंंड एलोन आधार पर इन परियेाजनाओं के निष्पा,दनार्थ हिमाचल प्रदेश सरकार के साथ एमओयू हस्ताीक्षरित किए गए।

श्री नंद लाल शर्मा ने अवगत कराया कि 210 मेगावाट की लूहरी चरण-। जलविद्युत परि‍योजना को बिल्डई-ओन-ऑपरेट-मेंटेन (बूम) आधार पर हिमाचल प्रदेश के शिमला एवं कुल्लूम जिलों में राष्ट्री य राजमार्ग 05 के साथ नीरथ गांव के समीप सतलुज नदी पर निर्मित किया जा रहा है। उन्होंोने विद्युत एवं एमएनआरई के माननीय राज्यलमंत्री (स्वषतंत्र प्रभार) श्री आर.के.सिंह तथा हिमाचल प्रदेश के माननीय मुख्य मंत्री श्री जयराम ठाकुर का परियेाजना के लिए समय पर स्वी कृतियों को सुगम बनाने में निरंतर मार्गदर्शन एवं सहायता के लिए आभार व्याक्तश किया।

210 मेगावाट की लूहरी चरण-। जलविद्युत परियोजना 3.40 घंटे के लिए पीकिंग जलाशय के साथ एक रन-ऑफ-द-रिवर योजना है। 80 मी.ऊंचा, 225 मी. लंबा तथा 8 मी. चौड़ा एक कंक्रीट ग्रेविटी बांध बनाया जाएगा जिससे लगभग 6 (छ:) कि.मी. के जलाशय का निर्माण होगा। बांध निर्माण को सक्षम करने के लिए, नदी के प्रवाह को 10 मी. के व्या स एवं 567 मी. लंबी हार्स-शू आकार की डायवर्जन टनल के माध्य म से मोड़ा जाएगा।

श्री शर्मा ने बताया कि 644 क्यू मेक्सा के डिस्चा र्ज का उपयोग चार इनटेकों के माध्यरम से किया जाएगा जो 90 मी. लंबे चार पेनस्टॉककों से गुजरते हुए टरबाईनों में प्रवेश करेगा।

210 मेगावाट की लूहरी चरण-। जलविद्युत परियोजना सतलुज नदी के दाहिनें किनारे पर प्रत्येचक 80 मेगावाट की दो मुख्या इकाईयों तथा प्रत्ये क 25 मेगावाट की दो सहायक इकाईयों से युक्त6 डैम-टो विद्युत गृह के रूप में अभियोजित है। परियोजना से सालाना 758 मिलियन यूनिट का विद्युत उत्पा दन होगा। उन्हों ने आश्वा सन दिया कि एसजेवीएन ने सदैव अपने लक्ष्योंह को प्राप्त किया है तथा 62 माह की निर्धारित समय-सीमा के अंदर इस परियोजना को पूरा करने के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है।

परियोजना की निर्माण गतिविधियों के परिणामस्वसरूप 2000 व्यपक्ति‍यों के लिए रोजगार सृजन तथा राज्या का सामाजिक-आर्थिक विकास होगा। इसके अतिरिक्तण, हिमाचल प्रदेश को 40 वर्षों के परियोजना जीवनकाल के दौरान लगभग 1050 करोड़ रुपए की नि:शुल्कन विद्युत का लाभ होगा।

परियोजना के परियोजना प्रभावित परिवारों को दस (10) वर्षों के लिए प्रति माह 100 यूनिट विद्युत नि:शुल्कल उपलब्ध कराई जाएगी। 1% अतिरिक्त, स्थाेनीय क्षेत्र विकास निधि (लगभग 3.08 करोड़ रुपए प्रति वर्ष) के अलावा, परियोजना के निष्पानदन से सड़कों एवं पुलों, स्वाास्य्के देखभाल सेवाओं और अन्य स्थायनीय अवसंरचनाओं का विकास होगा।

परियोजना पूरी होने पर, पर्यावरण से सालाना 6.1 लाख टन कार्बन डायऑक्सा0ईड को कम करेगी। परियोजना से उत्पाोदित विद्युत ग्रिड संतुलन में सहायता करेगी और विद्युत आपूर्ति की स्थिति में भी सुधार करेगी। एसजेवीएन स्व च्छट एवं ग्रीन विद्युत प्रदान करके राष्ट्रो के विकास में योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध है।