शिमला, भाजपा मुख्यप्रावक्त राकेश जमवाल ने कहा की बंगाल के आर जी कर मेडिकल कॉलेज में एक ट्रेनी महिला डॉक्टर के साथ जो हुआ उससे आज पूरा देश आक्रोशित है और कश्मीर से कन्याकुमारी तक न्याय की मांग की जा रही है। इसी दौरान जब हिमाचल में भी लगातार डॉक्टर अपने हकों की मांग मुख्यमंत्री और सरकार से कर रहे है उसी दौरान राजधानी शिमला में आईजीएमसी के मेडिकल हॉस्टल की चौथी मंजिल से गिरकर युवक की मौत हो गई। पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक शनिवार को आधी रात के समय आईजीएमसी के लक्कड़ बाजार स्थित मेडिकल गर्ल्स हॉस्टल में एक युवक चौथी मंजिल से गिर गया, जिसे एंबुलेंस 108 से इलाज के लिए आईजीएमसी अस्पताल पहुंचाया गया। जहां डॉक्टर ने जांच करने के बाद युवक को मृत घोषित कर दिया। उन्होंने बताया की आईजीएमसी के सीएमओ डॉ. महेश ने बताया कि देर रात लोगों को गर्ल्स हॉस्टल के बाहर कुछ गिरने की आवाज आई, तो सभी हॉस्टल में रहने वाली छात्राओं ने जब बाहर देखा तो दीवार के साथ लगकर एक युवक गिरा पड़ा था। मौके पर मौजूद लोगों ने 108 एंबुलेंस को फोन कर बुलाया और युवक को तुरंत आईजीएमसी लाया गया, लेकिन सर पर चोट लगने के कारण युवक की मौत हो चुकी थी। युवक एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी का स्टूडेंट था और पालमपुर का रहने वाला था, सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही पुलिस वहीं, अब पुलिस के सामने सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर युवक गर्ल्स हॉस्टल की चौथी मंजिल पर देर रात पहुंचा कैसे? वहीं, इस घटना के बाद हॉस्टल की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठने लगे हैं। वहीं, अब पुलिस हॉस्टल के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे खंगालने में जुट गई है, जिससे पता किया जा सके की आखिर युवक चौथी मंजिल तक कब और कैसे चढ़ा और कैसे वहां तक पहुंचा। वहीं, राजधानी में गर्ल्स हॉस्टल में इस घटना के बाद हड़कंप मच गया है।
उन्होंने कहा की हिमाचल प्रदेश में भी सुरक्षा की दृष्टि से लगातार चूक हो रही है। डॉक्टर की सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है।
डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए हिमाचल में भी स्टेट हेल्थ प्रोटेक्शन एक्ट (राज्य स्वास्थ्य संरक्षण अधिनियम) को सख्ती से लागू करना चाहिए। कोलकाता जैसी घटना पूरे देश में बार-बार होती आई है। पिछले वर्ष केरल में हाउस सर्जन को एक अपराधी ने पुलिस के निगरानी में मार दिया। इससे पहले भी ऐसे हादसे हिमाचल में भी हो चुके हैं। एक महिला चिकित्सक को भीड़ की हिंसा के चलते सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सैंज कुल्लू जिला में सिर पर गहरी चोट आई थी। उस समय चिकित्सकों की सुरक्षा के साथ-साथ हेल्थ इंस्टीट्यूशन में हेल्थ केयर पर्सन फोर हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स और इंस्टीट्यूशन प्रॉपर्टी प्रोटेक्शन एक्ट के तहत नियम लागू करने की मांग की थी। लेकिन वर्षों बीत जाने के बाद भी इस समस्या को स्वास्थ्य विभाग के द्वारा दरकिनार कर दिया गया।
सरकार को इस विषय को गंभीरता से लेना चाहिए।