Sat. Apr 27th, 2024

26 जुलाई, 2021
जिला किन्नौर के किसानों एवं कृषि अधिकारियों के लिए कृषि उत्पादन से सम्पन्नता योजना के अंतर्गत कृषि विभाग हिमाचल प्रदेश सरकार एवं सीएसआईआर हिमालय जैव-संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर के वैज्ञानिकों द्वारा केसर की खेती एवं उसके प्रबंधन पर रिकांगपिओ व सांगला में प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया।
सीएसआईआर हिमालय जैव-संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान के निदेशक डाॅ0 संजय कुमार ने जिला किन्नौर के कृषि अधिकारीयों व किसानों के साथ वर्चुअल माध्यम से जुडकर केसर की खेती के बारे में जानकारी दी। उन्होनें कहा कि किन्नौर जिले के निचले क्षेत्र की जलवायु एवं मिटटी केसर के उत्पादन के लिए उपयुक्त है। उन्होनें बताया कि संस्थान कृषि विभाग के साथ मिलकर इस परियोजना पर काम कर रहा है तकि केसर की खेती के अनुकूल क्षेत्रों में केसर का उत्पादन कर किसानों को आत्मनिर्भर बनाया जा सकें। उन्होनें यह भी जानकारी दी कि संस्थान किसानों को कृषि विभाग के माध्यम से केसर का बीज व केसर की खेती की तकनीक उपल्बध करवा रह है। उन्होनें बताया कि जिला किन्नौर में केसर खेती योग्य 2.5 एकड़ क्षेत्र में खेती का लक्ष्य रखा गया है।
संस्थान के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक एवं परियोजना समन्वयक डा राकेश कुमार ने किसानों को केसर की खेती की उन्नत कृषि पद्वतियों पर विस्तृत जानकारी प्रधान की। उन्होनें बताया केसर का प्रयोग प्राचीन काल से भारतीय व्यंजनों में किया जाता है। वर्तमान में केसर का उत्पादन जम्मू-कश्मीर के पुलवामा और किश्तवाड में किया जाता है।
डाॅ0 राकेश ने हिमाचल प्रदेश के गैर पारम्परिक क्षेत्रों में केसर की खेती किए जाने से किसानों को पारम्परिक फसलों की तुलना में अधिक लाभ मिल सकता है। उन्होनें कहा कि किसानों की जागरूकता और क्षमता निमार्ण के लिए ऐसे प्रक्षिशण शिविर आयोजित किए जाएगे ताकि अधिक से अधिक किसान केसर की खेती कर अपनी आर्थिकी को सुदृढ कर सके।
इस अवसर पर डाॅ0 अमित भूषण कृषि विकास अधिकारी जिला किन्नौर, डाॅ0 परमजीत सिंह नेगी कृषि विकास अधिकारी निचार, खुशाहाल चन्द्र कृषि प्रसार अधिकारी जंगी, अतेंदर कुमार कृषि प्रसार अधिकारी कल्पा व किसानों तथा युवाओं ने प्रशिक्षण कार्यशाला में भाग लिया।