किसानों, बागवानों और कृषि उद्यमियों के सशक्तिकरण तथा उन्हें बैंकिंग योजनाओं की जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से मंगलवार को यहां होटल हॉलीडे होम में एक दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया गया। विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित हिमाचल प्रदेश बागवानी विकास परियोजना (एचपीएचडीपी) के तहत आयोजित इस सम्मेलन में बागवानी विभाग, एचपीएमसी, मार्केटिंग बोर्ड और बैंक अधिकारियों के अलावा एचपीएचडीपी के अंतर्गत गठित क्लस्टरों तथा अन्य कृषक संगठनों के सदस्यों ने भाग लिया।
सम्मेलन के उदघाटन सत्र को संबोधित करते हुए बागवानी और जलशक्ति विभाग के सचिव अमिताभ अवस्थी ने कहा कि 1066 करोड़ रुपये की बागवानी विकास परियोजना हिमाचल के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में एक नई क्रांति का सूत्रपात कर रही है। इस परियोजना के तहत शीतोष्ण फलों विशेषकर सेब और गुठलीदार फलों के उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है। अमिताभ अवस्थी ने बताया कि इस परियोजना में बीज से लेकर बाजार यानि पौधारोपण से लेकर पौधों की देखभाल, सिंचाई, स्टोरेज, मूल्यवर्द्धन, प्रसंस्करण और विपणन सहित सभी पहलुओं को शामिल किया गया है। बागवानी क्षेत्र की इस पूरी श्रृंखला में बागवानों की सक्रिय भागीदारी भी सुनिश्चित की जा रही है।
बागवानी सचिव ने बताया कि इस परियोजना के तहत सेब के 30 लाख पौधे आयात किए गए हैं। एक निर्धारित अवधि तक विभिन्न केंद्रों पर रखने के बाद इन्हें रियायतों दरों पर बागवानों को वितरित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस साल के अंत तक लगभग 20 लाख पौधे वितरित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इन पौधों से हिमाचल में सेब का प्रति हैक्टेयर उत्पादन बढ़ेगा तथा इनकी गुणवत्ता भी अच्छी होगी। अमिताभ अवस्थी ने बताया कि एचपीएचडीपी से छूटे प्रदेश के कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए भी सरकार ने एचपीशिवा परियोजना आरंभ की है। इस परियोजना के माध्यम से प्रदेश के 7 जिलों में लिची, अमरूद और नींबू प्रजाति के फलों को बढ़ावा दिया जा रहा है और इस परियोजना के भी बहुत ही अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं। बागवानी सचिव ने प्रदेश के किसानों-बागवानों से इन परियोजनाओं का लाभ उठाने की अपील की। एक दिवसीय सम्मेलन के आयोजन की सराहना करते हुए अमिताभ अवस्थी ने कहा कि इससे किसान-बागवान विभिन्न बैंकिंग योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे।
इससे पहले एचपीएचडीपी के परियोजना निदेशक सुदेश मोक्टा ने मुख्य अतिथि, अन्य वक्ताओं तथा सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और परियोजना के तहत आयोजित विभिन्न गतिविधियों तथा उपलब्धियों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एचपीएचडीपी के तहत अभी तक 272 क्लस्टरों में लगभग 6000 हैक्टेयर भूमि पर सेब का घना पौधारोपण किया जा चुका है, जबकि 8800 हैक्टेयर पुराने बागीचों में भी नए पौधे रोपे जा चुके हैं। सिंचाई योजनाओं के बेहतर संचालन के लिए 261 वाटर यूजर्स एसोसिएशनों का गठन किया गया है तथा 30 फार्मर प्रोडयूसर कंपनियां भी बनाई जा चुकी हैं। परियोजना के तहत 9 मंडियों का आधुनिकीकरण किया गया है तथा आपूर्ति श्रृंखला के सुदृढ़ीकरण, आधुनिकीकरण तथा कोल्ड चेन से संबंधित आधुनिक सुविधाओं के लिए 15 इकाईयों हेतु वित्त पोषण की प्रक्रिया पूर्ण की गई है। सुदेश मोक्टा ने बताया कि परियोजना के 60 से 65 प्रतिशत तक कार्य पूरे किए जा चुके हैं।
सम्मेलन के दौरान भारतीय रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय निदेशक आरएस अमर, नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक डॉ. एसकेके मिश्रा, राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के अधिकारी एसएस नेगी और अन्य बैंक अधिकारियों तथा एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी के अधिकारी जीसी राजू ने विभिन्न योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी।
परियोजना की टीम लीडर डॉ. प्रबल चौहान ने विभिन्न गतिविधियों से अवगत करवाया। जबकि, संदीप कुमार ने कार्यक्रम का संचालन किया।
इस अवसर पर बागवानी विभाग के निदेशक डॉ. आरके प्रुथी, एचपीएमसी के महाप्रबंधक हितेश आजाद और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
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