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17 फरवरी, 2022
हिमाचल प्रदेश राज्य महिला आयोग महिलाओं के हितों को सुरक्षित करने के लिए कार्यरत है। इसी उद्देश्य से आयोग द्वारा समय-समय पर महिलाओं को जागरूक करने के लिए जागरूकता शिविरों का आयोजन किया जा रहा है ताकि जहां महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया जा सके वहीं केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा आरंभ की गई विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के बारे में भी उन्हें जागरूक किया जा सके। यह जानकारी आज यहां किन्नौर जिला के निचार उपमण्डल के भावानगर में राज्य महिला आयोग द्वारा आयोजित एक दिवसीय महिला जागरूकता शिविर की अध्यक्षता करते हुए आयोग की अध्यक्षा डाॅ. डेजी ठाकुर ने दी।
डाॅ. डेजी ठाकुर ने बताया कि महिलाओं की राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका है तथा एक सशक्त महिला इस कार्य को और भी बेहतर ढंग से कर सकती है। इसके लिए जहां महिलाओं का शिक्षित होना आवश्यक है वहीं उनके कल्याण के लिए आरंभ की गई योजनाओं के बारे में भी जानकारी होना आवश्यक है। महिला आयोग द्वारा इन दिनों इसी उद्देश्य के दृष्टिगत महिला जागरूकता शिविरों का आयोजन किया जा रहा है जहां एक मंच पर विभिन्न विभागाधिकारियों के माध्यम से केंद्र व राज्य सरकार द्वारा आरंभ की गई विभिन्न योजनाओं के बारे में जानकारी दी जा रही है ताकि पात्र महिलाएं इन योजनाओं का लाभ उठाकर आर्थिक रूप से सशक्त हो सकें। उन्होंने महिलाओं से भी आग्रह किया कि वे प्रदेश सरकार द्वारा आरंभ की गई विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाने के लिए आगे आएं तथा अन्य को भी इस बारे जागरूक करें।
डाॅ. डेजी ठाकुर ने महिलाओं को राज्य महिला आयोग के कार्यों के बारे में बताते हुए कहा कि महिला आयोग का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है। उन्होंने महिलाओं से भी आग्रह किया कि वे जहां अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहें वहीं अपने कत्र्तव्यों का भी सही प्रकार से पालन करें। उन्होंने कहा कि जागरूकता के कारण ही आज महिला उत्पीड़न से संबंधित मामले थानों में दर्ज हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि महिला हिंसा में न केवल पुरूष शामिल होते हैं बल्कि परिवार की अन्य महिलाएं भी समान रूप से शामिल रहती हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे अधिकांश मामले आयोग के सामने आते हैं जहां पति के अलावा परिवार की अन्य महिलाएं भी शामिल रहती हैं।
उन्होंने महिलाओं से आग्रह किया कि यदि इस प्रकार की उत्पीड़न संबंधी कोई शिकायत हो तो वे आयोग के संज्ञान में लाएं। उन्होंने कहा कि आयोग हमेशा प्रयासरत रहता है कि इस प्रकार के मामलों को आपसी सहमति से सुलझाया जा सके ताकि एक परिवार को टूटने से बचाया जा सके। इसी कारण इस तरह के मामलों की सुनवाई बंद कमरों में की जाती है तथा इसे सार्वजनिक नहीं किया जाता। उन्होंने महिलाओं से आग्रह किया कि वे बेटा व बेटी से एक समान व्यवाहर करें तथा उनमें किसी भी प्रकार का लैंगिंक भेदभाव न करें।
उन्होंने कहा कि आज बेटियां हर क्षेत्र में अग्रणि भूमिका निभा रही हैं। यही नहीं बेटियां बेटों से आगे बढ़कर हर क्षेत्र में अपना रूतबा दिखा रही हैं। उन्होंने कहा कि भारत के प्राचीन समाज में महिलाओं को पुरूषों के बराबर ही दर्जा प्राप्त रहा है तथा महिला व पुरूष मिलकर ही कार्य करते आए हैं।
इस अवसर पर उपमण्डलाधिकारी निचार मनमोहन सिंह ने मुख्य अतिथि तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया। उन्होंने राज्य महिला आयोग द्वारा निचार में शिविर आयोजित करने के लिए आयोग की अध्यक्षा का आभार व्यक्त किया।
सहायक जिला न्यायवादी अनुज वर्मा ने जागरूकता शिविर आयोजन के उद्देश्य पर प्रकाश डाला।
इस दौरान विभिन्न विभाग के अधिकारियों द्वारा केंद्र व प्रदेश सरकार की योजनाओं के बारे में जानकारी दी गई।
जागरूकता शिविर में निचार उपमण्डल के तहत आने वाले महिला मण्डल व आंगनवाड़ी सदस्यों सहित पंचायती राज प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
इस अवसर पर महिला मण्डल भावानगर व महिला मण्डल उरनी के सदस्यों द्वारा रंगा-रंग सांस्कृतिक कार्यक्रम व वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला की छात्राओं द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई। मुख्य अतिथि ने इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले को स्मृति चिन्ह व नगद पुरूस्कार से सम्मानित किया।
एक दिवसीय जागरूकता शिविर में जिला परिषद अध्यक्ष निहाल चारस सहित विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष व अधिकारी उपस्थित थे।
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