विश्व बैंक और आर्थिक मामले विभाग ने प्रदेश को 1168 करोड़ की वित्तीय सहायता समैझोते को मंजूरी दी
प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता ने आज यहां बताया कि शिमला जलापूर्ति एवं मल निकासी सेवाएं कार्यक्रम के अंतर्गत 160 मिलियन डाॅलर (1168 करोड़ रुपये) की वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए विश्व बैंक और केंद्रीय वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामले विभाग के साथ आज प्रदेश सरकार ने समझौते को अंतिम रूप दिया। प्रदेश सरकार की ओर से प्रधान सचिव शहरी विकास रजनीश की अध्यक्षता में समझौता समिति ने इसमें भाग लिया।
प्रदेश मंत्रिमंडल ने 24 अगस्त, 2021 को आयोजित बैठक में शहरी विकास विभाग की ओर से ग्रेटर शिमला क्षेत्र की पेयजल आपूर्ति और मल निकासी सेवाओं के लिए 250 मिलियन डाॅलर (1825 करोड़ रुपये) की वित्तीय सहायता के लिए विश्व बैंक और आर्थिक मामले मंत्रालय के बीच होने वाले समझौता पैकेज को स्वीकृति प्रदान की थी। इसमें से विश्व बैंक 160 मिलियन डाॅलर (1168 करोड़ रुपये) की वित्तीय सहायता प्रदान करेगा और शेष 90 मिलियन डाॅलर (657 करोड़ रुपये) हिमाचल प्रदेश सरकार वहन करेगी।
प्रवक्ता ने कहा कि इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य नगर निगम शिमला में चैबीसों घंटे पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित बनाना और सीवरेज सुविधा का सुदृढ़ीकरण है। परियोजना के अन्तर्गत सतलुज नदी से शिमला पेयजल आपूर्ति योजना का संवर्द्धन कर वर्ष 2050 तक 67 एमएलडी अतिरिक्त जल की मांग को पूरा किया जाना है।
शिमला के साडा के अन्तर्गत आने वाले उप-नगरीय क्षेत्रों जैसे कुफरी, शोघी, घणाहट्टी इत्यादि में पेयजल की समुचित आपूर्ति एवं वर्ष 2050 तक इन क्षेत्रों की अतिरिक्त योजना शामिल है। नगर निगम शिमला के अन्तर्गत सभी घरेलू एवं वाणिज्यिक उपभोक्ताओं को चैबीसों घंटे पेयजल आपूर्ति तथा नगर निगम क्षेत्र में सीवरेज सेवाओं को सुदृढ़ किया जाएगा।
परियोजना के अन्तर्गत गांव सुन्नी तहसील के अंतर्गत शकरोड़ी गांव के नजदीक सतलुज नदी से पानी उठाया जाएगा। इसके अंतर्गत 1.6 किलोमीटर ऊंचाई तक पानी उठाने के बाद 22 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछाकर शिमला के संजौली उप-नगर तक 67 एमएलडी पानी पहुंचाया जाएगा। परियोजना के माध्यम से नगर निगम शिमला क्षेत्र के अन्तर्गत आपूर्ति पाइपलाइन नेटवर्क का संवर्द्धन कर इसे चैबीसों घंटे आपूर्ति के लिए तैयार किया जाएगा। इसके अतिरिक्त मैहली, पंथाघाटी, टूटू और मशोबरा क्षेत्रों में सीवरेज सुविधा प्रदान की जाएगी। इस परियोजना को वर्ष 2026 तक तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है। प्रदेश सरकार की इस फ्लैगशिप परियोजना के माध्यम से वर्ष 2050 तक शिमला शहर की पेयजल आपूर्ति और सीवरेज व्यवस्था की मांग पूरी की जा सकेगी।
उन्होंने कहा कि शहरी विकास विभाग कोविड महामारी से उत्पन्न कठिन वित्तीय स्थिति के बावजूद विश्व बैंक और वित्त मंत्रालय से यह सहायता प्राप्त करने में सफल हुआ है। समझौते से संबंधित प्रोग्राम अप्रेजल दस्तावेज अब अन्तिम स्वीकृति के लिए विश्व बैंक के बोर्ड के समक्ष रखे जाएंगे और एक माह के भीतर यह प्रक्रिया पूर्ण होने की संभावना है। यह परियोजना शिमला शहर में पेयजल आपूर्ति एवं सीवरेज नेटवर्क के सुदृढ़ीकरण में मील पत्थर साबित होगा। यह सहायता राशि 1 जनवरी, 2022 से मिलना आरम्भ हो जाएगी और पांच वर्षों के लिए फंडिंग की जाएगी।