शिमला, 15 सितम्बर:
सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण शिमला रमणीक शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि रोहडू उपमण्डल के अंतर्गत आने वाली पंचायतों के 120 प्रधानों, उप-प्रधानों एवं वार्ड सदस्यों को विभिन्न कानूनों के बारे में अवगत करवाने के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
उन्होंने बताया कि कार्यक्रम में प्रधानों, उप-प्रधानों एवं वार्ड सदस्यों को विभिन्न कानूनों के बारे में डिजिटल तरीके से जानकारी प्रदान की गई।
उन्होंने पंचायत प्रतिनिधियों को मुफ्त कानूनी सहायता, विवाद के वैकल्पिक समाधान, हिमाचल प्रदेश (अपराध से पीड़ित व्यक्ति) प्रतिकार स्कीम 2019, पंचायती राज अधिनियम के अंतर्गत न्यायिक शक्तियां, घरेलू हिंसा अधिनियम, रिमांड स्टेज पर गिरफ्तार व्यक्तियों के अधिकारों तथा गिरफ्तारी के पहले अधिकारों तथा अधिनियम 41(a) व 41(d) के प्रावधानों के बारे में बताया गया।
उन्होंने बताया कि अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्य, संविधान के अनुच्छेद 23 में मानव दुव्र्यवहार या बेगार का शिकार, महिला या बालक, मानसिक रोगी या विकलांग व्यक्ति, अनपेक्षित अभाव जैसे बहुविनाश जातीय हिंसा, जातीय अत्याचार, बाढ़, सूखा, भूकम्प या औद्योगिक संकट के शिकार, औद्योगिक श्रमिक, करागृह, किशोर, मनोचिकित्सा अस्पताल, मनोचिकित्सकीय परिचर्या गृह में अभिरक्षा में रखे गये व्यक्ति, हिजड़ा समुदाय से सम्बंधित, सामान्य वर्ग का व्यक्ति जिसकी सालाना आय रूपये तीन लाख से कम हो और एच आई वी या एड्स से पीड़ित सभी व्यक्ति विधिक सेवा अधिनियम, 1987 के अनुसार मुफ्त कानूनी सहायता प्राप्त करने का अधिकार रखते हैं।
इस कार्यशाला में उन्होंने गिरफ्तार व्यक्तियों तथा रिमांड स्टेज पर गिरफ्तार व्यक्तियों के अधिकारों तथा गिरफ्तारी के पहले अधिकारों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने पंचायतों के दिवानी मुकदमों से संबंधित कार्यक्षेत्र तथा पंचायत स्तर के फौजदारी मुकदमों में पंचायतों की शक्तियों के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी। इस कार्यशाला में घरेलू हिंसा के विरुद्ध महिलाओं के अधिकारों के बारे में भी बताया गया।
अतिरिक्त मुख्य दण्डाधिकारी एवं सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण शिमला ने घरेलू हिंसा के अधिनियम के तहत पीड़ित महिलाओं के अधिकारों जैसे संरक्षण आदेश, घर का आदेश, खाने खर्चे का आदेश, बच्चे के निगरानी के आदेश तथा मुआवजे के आदेशों के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी।
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