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बागवानी एवं कृषि हिमाचल की अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार हैं। राज्य सरकार के विशेष प्रयासों से हिमाचल ने इस क्षेत्र में देश में अपनी अलग पहचान बनाई हैै। विभिन्न प्रकार की कृषि एवं बागवानी गतिविधियों के लिए अत्यन्त उपयुक्त प्रदेश की जलवायु का भरपूर लाभ उठाने के लिए राज्य सरकार इससे संबंधित सभी गतिविधियों को बढ़ावा दे रही है।
बागवानी एवं कृषि हिमाचल की अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार है। राज्य सरकार के विशेष प्रयासों से हिमाचल ने इस क्षेत्र में देश में अपनी अलग पहचान बनाई हैै। विभिन्न प्रकार की कृषि एवं बागवानी गतिविधियों के लिए अत्यन्त उपयुक्त प्रदेश की जलवायु का भरपूर लाभ उठाने के लिए राज्य सरकार इससे संबंधित सभी गतिविधियों को बढ़ावा दे रही है। सेब उत्पादन भी ऐसी ही एक गतिविधि है, जिसके लिए प्रदेश में उचित परिस्थितियां और वातावरण उपलब्ध है। राज्य सरकार इस दिशा में विशेष प्रयास कर रही है और प्रदेश में सेब उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं, जो बागवानों को आकर्षित करने में सफल रही हैं।
सेब उत्पादन के क्षेत्र में चंबा जिले में बड़े स्तर पर कार्य किया जा रहा है और यहां के लोग सेबों की खेती में विशेष रूचि ले रहे हैं। इससे वे स्वरोजगार लगा कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं और खुशहाल जीवन जी रहे हैं।

चंबा से लगभग 37 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ग्राम पंचायत कीड़ी का गांव पदरूही
। यहीं रहते हैं प्रगतिशील, मेहनतकश और क्षेत्र के लिए अनूठी मिसाल बने बागवान धारो रामl

धारो राम बताते हैं कि वह पहले पारंपरिक खेती बाड़ी का काम किया करते थे। उसके बाद सब्जी उत्पादन के साथ पॉलीहाउस का काम भी शुरू किया परंतु इतनी मेहनत करने के बावजूद भी इतनी आमदनी नहीं हो पाती थी जिससे वे अपने परिवार का गुजर बसर सही ढंग से कर सकें। एक दिन मैंने उद्यान विभाग द्वारा चलाई जा रही हिमाचल प्रदेश हॉर्टिकल्चर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट की मुहिम के बारे में सुना । मैंने विभाग से हाई डेंसिटी प्लांटेशन के बारे में जानकारी हासिल कीl जानकारी हासिल करने के उपरान्त मैंने सेब उत्पादन में रुचि दिखाना शुरू कर दिया।

धारो राम पिछले 5 वर्षों से उद्यान विभाग के सहयोग से हाई डेंसिटी प्लांटेशन कर सेब के उत्पादन से आय अर्जित कर रहे हैं। वे यह भी बताते हैं कि सेब उत्पादन से हर साल लगभग सभी खर्च निकालकर 8 लाख रुपए कमा लेते हैं। सेब उत्पादन में परिवार के पालन पोषण के साथ-साथ लोगों को रोजगार भी मुहैया करवा रहे हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि सेब उत्पादन के साथ-साथ वे विभाग द्वारा पंजीकृत सेब के पौधों की नर्सरी भी चला रहे हैं। जिससे वे क्षेत्र के लोगों को अच्छी किस्म के सेब के पौधे उपलब्ध करवा रहे हैं।

धारो राम ने बताया कि शुरुआती दौर में सिंचाई की व्यवस्था ना होने से उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। सिंचाई की समस्या का समाधान करने के लिए क्षेत्र में जल शक्ति विभाग द्वारा उठाऊ सिंचाई योजना का निर्माण किया गया।
योजना के अंतर्गत कलस्टर में सिंचाई के लिए 12 टैंकों का निर्माण किया गया जिससे सिंचाई की समस्या से निजात मिली ।
वे बताते हैं कि अभी मेरे पास लगभग 1500 सेब के पौधे हैं जिसमें 18 प्रजातियां है, इन्हीं प्रजातियां को विभाग द्वारा पंजीकृत नर्सरी में पौधे भी तैयार कर और पौधों की बिक्री भी कर रहा हूं।

उप निदेशक उद्यान डॉ. राजीव चंद्र बताते हैं कि हिमाचल प्रदेश हॉर्टिकल्चर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट बैंक के सहयोग से किसानों व बागवानों का सामूहिक तौर पर समग्र विकास करने हेतु चलाई जा रही है जिसका मुख्य उद्देश्य समूह के किसानों को मुफ्त सिंचाई व्यवस्था करना व उद्यानिकी के विभिन्न मदों को आधुनिक तौर पर विकासित करना है I
जिला चंबा में 33 समूहों (क्लस्टरों) का चयन किया गया है, जिसके लिए 28 करोड़ 40 लाख रुपए कार्य योजना पर हुई है। और सभी क्लस्टरों का कार्य युद्धस्तर पर जारी है । जिसके अंतर्गत 1500 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई व्यवस्था करने का लक्ष्य है I
इस वर्ष चंबा में 30,000 पौधों को लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है । जिसकी पहली खेप में 17 हजार पौधे वितरित किए जा रहे हैं।
धारो राम राज्य सरकार की योजनाओं के सफल कार्यान्वयन और सही दिशा में की गई मेहनत के सुखद परिणामों की जीती जागती मिसाल हैं। उनकी सफलता की कहानी अनेकों के लिए प्रेरणादायक सिद्ध हो रही है और बड़ी संख्या में लोग स्वरोजगार लगाने को प्रेरित हो रहे हैं।