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हिन्दी के जाने-माने वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र राजन के नवीनतम उपन्यास शहर दर शहर का लोकार्पण आज यहां गेयटी थियेटर में हुआ। पुस्तक का विमोचन सुप्रसिद्ध लेखक व रंगकर्मी श्रीनिवास जोशी ने किया। कार्यक्रम का आयोजन कीकली चैरिटेबल ट्रस्ट व शिमला वॉक्स संस्थाओं के सांझे प्रयास से किया गया। पुस्तक पर चर्चा में भाग लेते हुए डॉ. हेमराज कौशिक, आत्मा रंजन, सूरज प्रकाश, जितेन्द्र अवस्थी व विजय उपाध्याय ने आलेख व टिप्पणियां प्रस्तुत कीं। हेमराज कौशिक ने कहा कि शहर दर शहर एक संस्मरणात्मक उपन्यास है जिसमें  लेखक की व्यक्तिगत संघर्ष गाथा का निरूपण हुआ है। आत्मारंजन ने इसे पठनीय व मार्मिक रचना बताया तो श्रीनिवास जोशी ने कहा कि शहर दर शहर में भाषा की रवानगी है और बेरोजगारी के दंश से जूझ रहे युवा की जिजीविषा का जीवंत दस्तावेज है।
लेखक ने अपनी संघर्ष गाथा के दौरान अनेक खट्टे-मीटे अनुभवों के आधार पर हिन्दी साहित्य की ऐसी रचना दी है जो एक व्यक्ति की पीढ़ा न होकर समस्त समाज के दुःख में बदल जाती है। लेखक राजेन्द्र राजन ने इस मौके पर उपन्यास के एक रोचक अंश का पाठ किया जिसका सार यह था कि छपास व स्वयं को लेखक के रूप में स्थापित करने के लिये न कैरियर की बुलंदी को हासिल करने के वास्ते किस प्रकार भ्रष्ट लोगों व व्यवस्था से टकराकर शोषण का शिकार होना पड़ता है। इस अवसर पर काव्य गोष्ठी का भी आयोजन किया गया जिसमें करीब 30 युवा व वरिष्ठ कवियों ने काव्य पाठ किया। कीकली की अध्यक्षा वन्दना भागड़ा और शिमला वॉक्स के संचालक सुमित राज वारीष्ठने सभी लेखकों का अभिवादन किया व गोष्ठी में भाग लेने के लिये उनका धन्यवाद ज्ञापित किया। गोष्ठी का सफल मंच संचालन राधा सिंह ने किया।