निजी स्कूलों के प्रबंधकों के द्वारा प्रदेश के लोकप्रिय एवं संवेदनशील सरकार द्वारा लाए जा रहे फीस नियमन एवं शिक्षा सुधार बिल पर रोड़ा डालने के लिए निजी स्कूलों के मालिकों के द्वारा लामबंध होकर उपयुक्त शिमला को इस प्रस्तावित कानून के विरोध स्वरुप ज्ञापन सौंपने से निश्चित तौर पर ज्ञात हो रहा है कि निजी स्कूलों के मालिक शिक्षा के मंदिर को वास्तव में व्यापार का केंद्र ही समझ रहे हैं। अन्यथा उन्हें किसी तरह के ऐसी नियमन कानून का विरोध क्यों होता ? इन निजी स्कूलों के मालिकों के नियत में खोट होने के बजह से यह प्रदेश के फीस नियमन क़ानून का विरोध कर रहे हैं। कोई भी संस्था या संगठन देश के कानून के ऊपर नहीं है। यह निजी स्कूल अपनी मनमानी जारी रखने के लिए ही अब यह सब विलाप कर रहे हैं। देश के विभिन्न प्रदेशों में कोरोना काल में फीस वृद्धि पर रोक लगा रखी है। हमारे प्रदेश में भी इन निजी स्कूलों के घोर मनमानी को रोकने के लिए लाये जा रहे कानून से प्रदेश की शत प्रतिशत अभिभावक रूपी आम जनता निश्चित तौर पर लाभान्वित होंगे। प्रदेश की लोकप्रिय सरकार के समक्ष इस उचित और तर्कसंगत फीस नियमन कानून की मांग को पूर्ण करने का निवेदन प्रदेश के हरेक कोनों से किया जा रहा है अतः प्रदेश सरकार इस कानून अविलंब लागु करें।
हमारे संघ के द्वारा लगातार निवेदन करने के बावजूद भी निजी स्कूल फीस के बढे हुए दर से पीछे हटने व मासिक किश्तों में करने से परहेज़ कर रहे हैं । यदि निजी स्कूलों का रवैय्या हमारे लगातार निवेदन करने के बावजूद भी ऐसा ही रहता है तो सभी अभिभावक भी तब तक स्कूल फीस नहीं चुकाएंगे जब तक यह निजी स्कूलों के मालिक हमारे मांग के अनुसार फीस का युक्तिकरण व तर्कसंगत नहीं करते। यद्यपपि अब प्रदेश के निजी स्कूल अधिकतर अभिभावकों के द्वारा फीस नहीं चुकाए जाने के कारण लगातार ऑनलाइन क्लास में हमारे बच्चों को फीस जमा करने को कह रहे हैं। और बच्चों को आने वाली अर्धवार्षिक परीक्षा में समस्या होने का डर भी दिखा रहे हैं। अलबत्ता ऑनलाइन क्लास न होकर अब तो यह फीस ग्राही क्लास हो चुका है। हम सभी अभिभावकों से निवेदन करते हैं कि की कोई भी अभिभावक किसी भी सूरत में बढे हुए दर से न तो ट्यूशन फीस दें और ना बढे हुए दर वाली कोई अन्य फीस। केवल पिछले वर्ष के दर वाला ट्यूशन फीस का ही भुगतान करें । दयानन्द स्कूल शिमला के तर्ज पर प्रदेश के सभी निजी स्कूल प्रबंधन अभिभावकों से फीस को तर्कसंगत करने के लिए मीटिंग करें। सभी अभिभावकों को कानून और शिक्षा व्यवस्था पर भरोसा होना चाहिए। अतः प्रदेश के किसी भी अभिभावक को डरने वा घबराने की आवश्यकता नहीं है। बस जरूरत है एकता और कानून संगत व संविधान संगत इस मामले को उठाने की। प्रदेश के हरेक कोने से हरेक व्यक्ति कह रहा है कि प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए यह एक जायज मांग है । अभिभावकों को एकजुट वा व्यवस्थित रहते हुए अपने लोकतंत्रिक अधिकारों का पालन करते हुए हम लोग अपने उपरोक्त जायज़ मांग को पूर्ण करने के लिए प्रदेश के सभी समबन्धित विभाग ,अधिकारी वा जनप्रतिनिधि से बिना थके गुजारिश करते रहेंगे।