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नगर परिषद सोलन के तहत वार्ड-14 में अस्सी के दशक में बनी हाऊसिंग कॉलोनी फेज-1 के ब्रीदिंग जोन में हिमुडा की तरफ से प्रस्तावित नई आवासीय कॉलोनी योजना के विरोध स्थानीय लोग फिर से मुखर हो गए हैं। आरोप है कि विरोध के बावजूद हिमुडा कॉलोनी के ब्रीडिंग जोन में आवासीय कॉलोनी बनाने को लेकर आमादा है।
स्थानीय वेलफेयर सोसायटी ने इस संदर्भ में डीसी के माध्यम से मुख्यमंत्री और शहरी आवास मंत्री को ज्ञापन भेजा है। इससे पहले सोसाइटी पिछले वर्ष नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल काे भी पत्र भेज चुकी है। सोसाइटी की कार्यकारी प्रधान मोहन चौहान और महासचिव राजीव कौड़ा ने कहा कि हाऊसिंग कॉलोनी में 300 परिवाराें के लिए ब्रीदिंग जोन का काम कर रहे ग्रीन एरिया के हरे भरे पेड़-पौधों काे काटकर हिमुडा 50 से 70 फ्लैट्स बनाने की योजना बना रही है। स्थानीय लोगों के विरोध के बावजूद सरकार ने हिमुडा प्लान को अप्रूव किया है। इस संदर्भ में रेजीडेंट वेलफेयर सोसायटी और स्थानीय लोग पिछले पांच साल से सरकार व विभाग से संवाद कर रहे हैं लेकिन हिमुडा आवासीय ब्लॉक बनाने को आमादा है। यही कारण है कि फ्लैट्स बनाने की योजना के खिलाफ लोग लामबंद हुए हैं। तर्क दिया जा रहा है कि शहरीकरण से सोलन शहर कंकरीट का जंगल बनता जा रहा है, जिससे पर्यावरण प्रदूषण बढ़ रहा है। हाऊसिंग कॉलोनी में लोगों ने हिमुडा से इस लिए मकान व प्लॉट खरीदे थे कि यहां पर आवासीय नियम के मुताबिक ग्रीन एरिया छोड़ा गया हैं। अब हिमुडा खुद ही ग्रीन एरिया में आवासीय फ्लैट्स बनाने की जिद्द कर रहा है। कॉलोनी बनने से हरे पड़ों की बलि तो चढ़ने के साथ नालों में बह रही गंदगी से पर्यावरण प्रदूषित होगा। जानकारी के मुताबिक कॉलोनी के अंतिम छोर में नाले के ऊपर खाली पड़ी जमीन पर हिमुडा फ्लैट्स बनाएगा। लोगों का कहना है कि इस जमीन में लगे पेड़-पौधे वर्षो से स्थानीय लोगों के लिए ब्रीदिंग जोन का काम कर रहे हैं।
पार्किंग, पानी व सीवरेज समस्या बढ़ेगी:
कॉलोनी में पार्किंग की समस्या के चलते लोगों को सड़क किनारे ही वाहन पार्क करने पड़ रहे हैं। इससे कॉलोनी में अभी से वाहनों की आवाजाही प्रभावित हो रही है। रात के समय तो कॉलोनी से एंबूलेंस निकाला भी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में यदि हिमुडा यहां पर अतिरिक्त फ्लैट्स बनाता भी है तो ट्रैफिक की समस्या बढ़ जाएगी। साथ ही बड़े वाहनों को कॉलोनी की सड़क से गुजाराना आसान नहीं होगा। कॉलोनी में नगर परिषद तीन से चार दिन बाद पानी की सप्लाई करती है। इससे लोगाें को खासी दिक्कतें पेश आ रही है। कॉलोनी में अतिरिक्त आवासीय फ्लैट्स बनने से पानी की समस्या बढ़ जाएगी। इसी तरह कॉलोनी में सीवरेज व्यवस्था भी चरमरा रही है। आबादी बढ़ने से सीवर लाइनें बंद हो जाती है। नालों की तरफ बने सेफ्टिंक टैंक खुले में बह रहे हैं, जिससे प्रदूषण बढ़ रहा है। नई आवासीय कॉलोनी बनने से सीवरेज समस्या से निपटना मुश्किल हो जाएगा।
45 फीसदी एरिया में ही हो सकता है निर्माण:
प्लान तहत आवासीय कॉलोनियों के लिए अधिग्रहण की गई जमीन के 45 फीसदी हिस्से में ही निर्माण किया जा सकता है जबकि 55 फीसदी हिस्सा सड़क, पार्क, पार्किंग, सीवरेज, पाथ और ग्रीन पैच के लिए छोड़ा जाता है। इस लिहाज से 1980 के दशक में बनी हाऊसिंग कॉलोनी कॉलोनी में पहले से ही 45 फीसदी एरिया में भवनों को निर्माण हो चुका है। कॉलोनी में अब नालों के आसपास की जमीन ही खाली पड़ी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जब हिमुडा ने हाऊसिंग कॉलोनी के फ्लैट्स बेचे थे तो उसमें जमीन की लागत भी समायोजित की थी। ऐसे में हिमुडा को कॉलाेनी में नालों के आसपास खाली पड़ी जमीन में फ्लैट्स बनाने का अधिकार नहीं है।