वाणिज्य विभाग के सचिव श्री सुनील बर्थवाल के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रॉस्पेरिटी (आईपीईएफ) क्लीन इकोनॉमी इन्वेस्टर फोरम में हिस्सा लिया, जिसमें क्षेत्र के शीर्ष निवेशकों, स्वच्छ अर्थव्यवस्था कंपनियों और स्टार्ट-अप को स्थायी अवसंरचना, जलवायु प्रौद्योगिकी और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश जुटाने के लिए एक साथ लाया गया।
वाणिज्य सचिव श्री बर्थवाल ने आईपीईएफ स्वच्छ अर्थव्यवस्था निवेशक फोरम के उद्घाटन के दौरान इस फोरम को एक अनूठा मंच बताया, जिसने वैश्विक निवेशकों, परियोजना समर्थकों, नीति-निर्माताओं, शि
इस दो दिवसीय कार्यक्रम के दौरान, आईपीईएफ भागीदारों में वित्तीय संस्थानों, बहुपक्षीय विकास बैंकों, उद्यम पूंजी कोष, परियोजना स्वामियों, उद्यमियों और सरकारी एजेंसियों के 300 से अधिक प्रतिभागियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।
मूल्यांकन के बाद, सस्टेनेबल इन्फ्रास्ट्रक्चर ट्रैक में, भारत से चार कंपनियों (रीन्यू पावर, अवाडा एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड, इंडसब्रिज कैपिटल एडवाइजर्स एलएलपी. संस्थापक, एसईआईपी और पॉवरिका लिमिटेड) को ऊर्जा अंतरण, परिवहन और लॉजिस्टिक्स तथा अपशिष्ट प्रबंधन/अपशिष्ट से ऊर्जा सृजन पर अपने विचारों को वैश्विक निवेशकों के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए चुना गया।
इसके अलावा, क्लाइमेटटेक ट्रैक में, 10 भारतीय स्टार्ट-अप और कंपनियों (ब्लूस्मार्ट, रेसीकल, लोहुम, सी
निवेश को बढ़ावा देना: अपनी तरह के पहले फोरम के परिणामस्वरूप हिंद-प्रशांत में सस्टेनेबल इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के लिए 23 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश के अवसर पैदा हुए। गठबंधन का अनुमान है कि इसके सदस्यों के पास कुल मिलाकर 25 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की पूंजी है, जिसे आने वाले वर्षों में हिंद-प्रशांत क्षेत्र के उभरते बाजार के बुनियादी ढांचे में लगाया जा सकता है। डीएफसी बोर्ड ने 900 मिलियन अमेरिकी डॉलर के एवरसोर्स क्लाइमेट इन्वेस्टमेंट पार्टनर्स II फंड के हिस्से के रूप में इक्विटी निवेश को भी मंजूरी दी है, जो भारत और दक्षिण पूर्व एशिया में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए नई और मौजूदा क्षमताओं का उपयोग करने वाली नवोन्मेषी कंपनियों को पूंजी, प्रबंधन और विशेषज्ञता प्रदान करेगा।
आईपीईएफ भागीदारों और निजी अवसंरचना विकास समूह ने आईपीईएफ उत्प्रेरक पूंजी कोष के परिचालन की घोषणा की, जो उभरती और उच्च-मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्थाओं में गुणवत्ता, लचीले और समावेशी स्वच्छ अर्थव्यवस्था बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं का विस्तार करने के लिए रियायती वित्तपोषण, तकनीकी सहायता और क्षमता निर्माण सहायता प्रदान करेगा। इसके मद्देनजर विकास संबंधी परियोजनाओं में भारत में एक अक्षय ऊर्जा मंच शामिल है। कोष के संस्थापक समर्थकों में ऑस्ट्रेलिया, जापान, कोरिया गणराज्य और अमेरिका शामिल हैं, जो निजी निवेश में 3.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक के उत्प्रेरक के लिए प्रारंभिक अनुदान निधि में 33 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्रदान करने की योजना बना रहे हैं।
सिंगापुर के टेमासेक और जीआईसी सहित निवेशकों के एक गठबंधन ने उभरते बाजारों में बुनियादी ढांचे में 25 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई है, जो अमेरिका और कई एशिया-प्रशांत देशों के बीच आर्थिक गठबंधन का हिस्सा हैं।
इस कार्यक्रम में भारत से जापान को 200 केटीपीए ग्रीन अमोनिया के उत्पादन और निर्यात के लिए सेम्बकॉर्प ग्रीन हाइड्रोजन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, क्यूशू इलेक्ट्रिक और सोजित्ज़ के बीच एक ऑफटेक समझौते पर हस्ताक्षर भी हुए। इस कार्यक्रम में सिंगापुर और जापान के मंत्री और श्री बर्थवाल शामिल हुए। इस समझौते का उद्देश्य भारत में तूतीकोरिन बंदरगाह पर चरण-I (कुल 4 चरणों में 800 केटीपीए) में 200 केटीपीए ग्रीन अमोनिया क्षमता का उत्पादन व निर्यात बढ़ाना और जापान को निर्यात करना है। ऊपर प्रस्तावित परियोजना भारत द्वारा कार्यान्वित राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के उद्देश्य को आगे बढ़ाएगी, जो भारत को ग्रीन हाइड्रोजन और इसके उत्पादन व निर्यात के लिए वैश्विक केंद्र बनाने की दिशा में काम कर रही है।
आईपीईएफ फोरम की बैठकों में आईपीईएफ सदस्यों के मंत्रियों के संबोधन, शीर्ष फंड हाउसों की भागीदारी, व्यावहारिक पैनल चर्चा और इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों एवं जलवायु तकनीक स्टार्टअप्स की ओर से पिचिंग सत्र आयोजित किए गए। पैनल चर्चाओं में हर परिस्थिति के अनुकूल भविष्य के लिए सतत बुनियादी ढांचे में निवेश, इनोवेटर्स और निवेशकों के बीच के अंतराल को कम करने तथा सतत विकास के लिए व्यापार और निवेश नीतियों पर आईपीईएफ मंत्रियों के साथ बातचीत पर गणमान्य व्यक्तियों के बीच विचारों का व्यापक आदान-प्रदान हुआ।
भारतीय कंपनियों और स्टार्ट-अप्स के साथ बातचीत के दौरान, वाणिज्य विभाग के अतिरिक्त सचिव और आईपीईएफ के लिए भारत के मुख्य वार्ताकार श्री राजेश अग्रवाल ने बताया कि कैसे आईपीईएफ समझौते (स्तंभ II, III और IV) निवेश, रियायती वित्तपोषण, संयुक्त सहयोगी परियोजनाओं, कार्यबल विकास और उद्योगों, विशेष रूप से एमएसएमई के लिए तकनीकी सहायता और क्षमता निर्माण की सुविधा प्रदान करेंगे, ताकि भारतीय कंपनियों को विशेष रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में मूल्य श्रृंखलाओं में और अधिक एकीकृत किया जा सके। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि निवेशक फोरम भारतीय कंपनियों और स्टार्ट-अप्स को वैश्विक निवेशकों के साथ विशेष रूप से क्लीनटेक और अवसंरचना विकास क्षेत्रों में वित्त प्राप्त करने तथा सहयोग करने का अवसर प्रदान करता है। इस संदर्भ में भारत को 2070 तक अपने नेट-जीरो लक्ष्य को पूरा करने में सहायता मिलेगी।
इन्वेस्ट इंडिया की प्रबंध निदेशक और सीईओ सुश्री निवृति राय ने फोरम की स्थापना के लिए प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने आपसी विकास और नवाचार के माध्यम से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्वच्छ अर्थव्यवस्था में परिवर्तन को बढ़ावा देने पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद विकास में महत्वपूर्ण योगदानकर्ता के रूप में भारत अहम व समृद्ध क्षेत्रों को आगे बढ़ाने के लिए निवेशकों पर निर्भर करता है, जो सतत विकास और आर्थिक प्रगति के लिए देश की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
आईपीईएफ निवेशक फोरम की मेजबान सरकार (सिंगापुर) द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति यहां देखी जा सकती है।