बहादुर सिंह (1532 ई .) – बहादुर सिंह सुकेत के राजा अर्जुन सेन का समकालीन था। बहादुर सिंह ने बजीरी रूपी को कुल्लू राज्य का भाग बनाया। बहादुर सिंह ने मकरसा में अपने लिए महल बनवाया। मकरसा की स्थापना महाभारत के विदुर के पुत्र मकस ने की थी। राज्य की राजधानी उस समय नग्गर थी। बहादुर सिंह ने अपने पुत्र प्रताप सिंह का विवाह चम्बा के राजा गणेश वर्मन की बेटी से करवाया। बहादुर सिंह के बाद प्रताप सिंह (1559 – 1575), परतप सिंह (1575 – 1608) , पृथ्वी सिंह (1608 – 1635) और कल्याण सिंह (1635 – 1637) मुगलों के अधीन रहकर कुल्लू पर शासन कर रहे थे।
2 . जगत सिंह ( 1637 – 72 ई . ) – जगत सिंह कुल्लू रियासत का सबसे शक्तिशाली राजा था। जगत सिंह ने लग बजीरी और बाहरी सिराज पर कब्जा किया। उन्होंने डूग्गीलग के जोगचंद और सुल्तानपुर के सुल्तानचंद ( सुल्तानपुर का संस्थापक ) को 1650 – 55 के बीच पराजित कर ‘ लग ‘ बजीरी पर कब्जा किया। औरंगजेब उन्हें ‘ कुल्लू का राजा ‘ कहते थे। कुल्लू के राजा जगत सिंह ने 1640 ई . में दाराशिकोह के विरुद्ध विद्रोह किया तथा 1657 ई . में उसके फरमान को मानने से मना कर दिया था। ब्राह्मण की आत्महत्या के दोष से मुक्त होने के लिए राजपाठ रघुनाथ जी को सौंप दिया। राजा जगतसिंह ने टिप्परी ‘ के ब्राह्मण की आत्महत्या के दोष से मुक्त होने के लिए जगत सिंह ने 1653 में दामोदर दास ( ब्राह्मण ) से रघुनाथ जी की प्रतिमा अयोध्या से मंगवा कर राजपाठ सौंफ दिया। राजा जगत सिंह के समय से ही कुल्लू के ढालपुर मैदान पर कुल्लू का दशहरा मनाया जाता है।
3 . मानसिंह (1688 – 1702 ई .) – कुल्लू के राजा मानसिंह ने मण्डी पर आक्रमण कर गुम्मा (द्रंग) नमक की खाना में कब्जा जमाया। उन्होंने 1688 ई . में बीड़ भंगाल क्षेत्र पर नियंत्रण किया। उन्होंने लाहौल – स्पीति को अपने अधीन कर तिब्बत की सीमा लिंगटी नदी के साथ निधारित की। राजा मानसिंह ने शांगरी और बुशैहर रियासत के पण्ड्रा ब्यास क्षेत्र को भी अपने अधीन किया। उनके शासन में कुल्लू रियासत का क्षेत्रफल 10, 000 वर्ग मील हो गया।
4 . राजसिह (1702 – 1731 ई .) – राजसिंह के समय गुरु गोविंद सिंह जी ने कुल्लू की यात्रा की।
5 . टेढ़ी सिंह (1742 – 1767 ई .) – राजा टेढ़ी सिंह के समय घमण्ड चंद ने कुल्लू पर आक्रमण किया।
6 . प्रीतम सिंह ( 1767 – 1806 ) – प्रीतम सिंह संसारचंद द्वितीय का समकालीन राजा था। उसके समय कुल्लू का बजीर भागचंद था।
7 . विक्रम सिंह (1806 – 1816 ई .) – राजा विक्रम सिंह के समय में 1810 ई . में कुल्लू पर पहला सिक्ख आक्रमण हुआ जिसका नेतृत्व दीवान मोहकम चंद कर रहे थे।
8 . अजीत सिंह (1816 – 1841 ई .) – राजा अजीत सिंह के समय 1820 ई . में विलियम मूरक्राफ्ट ने कुल्लू की यात्रा की। कुल्लू प्रवास पर आने वाले वह पहले यूरोपीय यात्री थे। राजा अजीत सिंह को सिक्ख सम्राट शेरसिंह ने कुल्लू रियासत से खदेड़ दिया (1840 ई .में )।
ब्रिटिश संरक्षण अधीन सांगरी रियासत में शरण लेने बाद 1841 ई . में अजीत सिंह की मृत्यु हो गई। कुल्लू रियासत 1840 ई . से 1846 ई . तक सिक्खों के अधीन रही।