महिलाएं समाज का अभिन्न अंग है। महिलाओं के विकास के बिना समाज के विकास की परिकल्पना नहीं की जा सकती। महिलाओं का सामाजिक-आर्थिक उत्थान सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश में अनेक कल्याणकारी योजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैैं। महिलाएं इन योजनाओं का बढ़-चढ़ कर लाभ उठा रही है। इन योजनाओं के फलस्वरूप महिला सशक्तिकरण में हिमाचल देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनकर उभरा है।
ग्रामीण महिलाओं और स्वयं सहायता समूहों को आजीविका गतिविधियों से जोड़कर उनकी आर्थिकी सुदृढ़ करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री एक बीघा योजना शुरू की गई है।
इस योजना के अन्तर्गत प्रदेश में मनरेगा और स्वच्छ भारत मिशन का अनुसरण कर ग्रामीणों को किचन गार्डनिंग के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। स्वयं सहायता समूह की महिलाएं किचन गार्डन को विकसित कर पोषणयुक्त सब्जियों और फलों का उत्पादन कर खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने के साथ उत्पादित उत्पादों को खुले बाजार में बेचकर आर्थिक लाभ अर्जित कर रही है।
मुख्यमंत्री एक बीघा योजना के तहत प्रदेश में भूमि सुधार, नर्सरी उत्पादन, फलदार वृक्षारोपण, केंचुआ खाद गड्ढा निर्माण, अजोला पिट निर्माण, सिंचाई और जल संचयन संरचना निर्माण और गौशाला निर्माण जैसे कार्य किए जा रहे हैं।
प्रदेश में इस योजना के अन्तर्गत अब तक 17292 लोगों को लाभान्वित किया गया है। प्रदेश में अब तक इस योजना के तहत 41 करोड़ 87 लाख रुपये व्यय किए जा चुके हैं। बिलासपुर जिला में 309 लोगों को 37.34 लाख रुपये, चम्बा जिला में 355 लोगों को 118.43 लाख रुपये, हमीरपुर जिला में 928 लोगों को 146.37 लाख रुपये, कांगड़ा जिला में 1792 लोगों को 304.10 लाख रुपये, किन्नौर जिला में 41 लोगों को 4.44 लाख रुपये, कुल्लू जिला में 1,123 लोगों को 114.21 लाख रुपये, लाहौल-स्पीति जिला में 5 लोगों को 3.68 लाख रुपये, मण्डी जिला में 3,124 लोगों को 882.44 लाख रुपये, शिमला जिला में 5,856 लोगों को 1452.09 लाख रुपये, सिरमौर जिला में 2,066 लोगों को 830.21 लाख रुपये, सोलन जिला में 1218 लोगों को 181.93 लाख रुपये और ऊना जिला में 475 लोगों को 112.25 लाख रुपये की आर्थिक सहायता राशि प्रदान कर लाभान्वित किया गया है।
मुख्यमंत्री स्वावलम्बन योजना का लाभ उठाकर महिलाएं आत्मनिर्भरता की नई इबारत लिख रही हैं। जिला ऊना के हरोली खण्ड की ग्राम पंचायत लोअर पंजावर के स्वयं सहायता समूह पीहू की सुदेश कुमारी इस योजना के माध्यम से प्राकृतिक खेती को भी बढ़ावा प्रदान कर रही है। उन्होंने वर्ष 2019 में इस योजना के लिए आवेदन किया था। उन्हें इस योजना के अन्तर्गत 83 हजार 740 रुपये की सहायता राशि स्वीकृत हुई। इस राशि का उपयोग कर उन्होंने आम के 18 पौधे लगाए और उनकी बाड़बंदी भी की। इसके अतिरिक्त उन्होंने किचन गार्डन मॉडल का उपयोग करके प्राकृतिक खेती से लौकी, कद्दू इत्यादि सब्जियां भी उगाई। उनका कहना है कि वह खेती में गोबर की खाद और नीम अस्त्र जैसे पारंपरिक तौर तरीकों का उपयोग करती हैं। उनके उत्पाद जहरीले रसायनों से भी बच रहे हैं और खेती की लागत में भी कमी आई है। मुख्यमंत्री का आभार प्रकट करते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की मुख्यमंत्री एक बीघा जमीन से उन्होंने खेती को विस्तार प्रदान किया है। प्राकृतिक खेती के माध्यम से बढ़ती उत्पादकता को देखकर अन्य महिलाएं भी इस योजना का लाभ उठाने के लिए प्रेरित हो रही है। सुदेश जैसे कई उदाहरण इस बात का प्रतीक है कि प्रदेश सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से महिलाओं के जीवन में खुशहाली आ रही है।