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हरित ऊर्जा का दोहन कर पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रदेश सरकार की अनुकरणीय पहल

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के दूरदर्शी नेतृत्व में प्रदेश सरकार राज्य की विशाल ऊर्जा क्षमता को बढ़ावा देने, विकसित करने और दोहन करने के लिए प्रतिबद्ध है।
राज्य की कुल चिन्हित जलविद्युत क्षमता लगभग 27,436 मेगावाट और दोहन योग्य विद्युत क्षमता 23,750 मेगावाट है, जिसमें से 10,781.88 मेगावाट का दोहन किया जा चुका है। राज्य के पर्यावरण को संरक्षित करने के उद्देश्य से सरकार वर्ष 2025 के अंत तक जलविद्युत, हाइड्रोजन व सौर ऊर्जा का दोहन करके प्रदेश को पहला हरित ऊर्जा राज्य बनाने के लिए वचनबद्ध है। इस दिशा में राज्य सरकार ने अनुकरणीय पहल की है। इससे न केवल राज्य को हरित ऊर्जा प्राप्त होगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण भी सुनिश्चित होगा। प्रदेश सरकार के इन प्रयासांे से प्रदेश हरित उत्पादों की ओर उन्मुख होगा जो राज्य के निर्यात में प्रीमियम और लाभ को बढ़ाएंगे।
वर्तमान प्रणाली का नवीनीकरण और राज्य के विकास के दृष्टिगत हरित ऊर्जा का दोहन अति-आवश्यक है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अधिकारियों को वर्तमान ऊर्जा नीति में आवश्यक बदलाव लाने और पांच मैगावाट क्षमता तक की सभी सौर ऊर्जा परियोजनाएं आवंटन के लिए खुली रखने के निर्देश दिए हैं। राज्य सरकार सौर ऊर्जा संयंत्रों में निवेश भी करेगी।
वर्ष 2023-2024 की अवधि के दौरान प्रदेश भर में 500 मैगावाट क्षमता की सौर परियोजनाएं स्थापित की जाएंगी, जिसमें कम से कम 200 मैगावाट क्षमता की परियोजनाएं हिमाचल प्रदेश ऊर्जा निगम लिमिटेड (एचपीपीसीएल) द्वारा स्थापित की जाएंगी। इसके दृष्टिगत 70 मैगावाट क्षमता के लिए भूमि चिन्हित की जा चुकी है और अन्य स्थलों को भी शीघ्र ही अन्तिम रूप दिया जाएगा।
150 मैगावाट क्षमता की सौर परियोजनाएं निजी भागीदारी से हिमऊर्जा द्वारा स्थापित की जाएंगी और इन परियोजनाओं के आवंटन में हिमाचलियों को प्राथमिकता दी जाएगी। इन परियोजनओं की क्षमता की श्रेणी 250 किलोवाट से एक मैगावाट होगी।
प्रदेश सरकार ने हिमऊर्जा को एक ऐसा तंत्र विकसित करने के निर्देश दिए है जिसमें 3 मैगावाट क्षमता से अधिक की सौर परियोजनाओं में राज्य को रॉयल्टी प्राप्त होने से वित्तीय लाभ मिल सकें। यदि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को सौर परियोजनाएं स्थापित करने के लिए भूमि प्रदान की जाती है तो इसके लिए उनसे भूमि की हिस्सेदारी के रूप में कुछ प्रतिशत राशि भी ली जानी चाहिए।
हिमऊर्जा को पांच मैगावाट सौर ऊर्जा परियोजना में राज्य के लिए पांच प्रतिशत प्रीमियम और पांच मैगावाट क्षमता से अधिक की सौर ऊर्जा परियोजनओं में 10 प्रतिशत हिस्सा सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है।
हिमाचल प्रदेश ऊर्जा निगम लिमिटेड को काशंग द्वितीय और तृतीय, शॉंग-टांग व कड़छम आदि निर्माणाधीन ऊर्जा परियोजनाओं के कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए गए हैं ताकि प्रदेश के लोग इनसे शीघ्र लाभान्वित हो सकें। प्रत्येक परियोजना के लिए समयावधि निश्चित करने और इन सभी परियोजनाओं को वर्ष 2025 तक पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
मुख्यमंत्री ने एचपीपीसीएल को सौर परियोजनाओं की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाने के लिए 10 दिन के भीतर सलाहकार नियुक्त करने तथा एक माह के भीतर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए है ताकि इन सौर परियोजनाओं का कार्य आरम्भ किया जा सके। ऊर्जा विभाग तथा एचपीपीसीएल अन्य राज्यों जैसे राजस्थान में भूमि चिन्हित करने के निर्देश भी दिए गए हैं, जहां मैगा सौर संयंत्र स्थापित करने के लिए रियायती दरों पर भूमि उपलब्ध है।
प्रदेश को देशभर में हरित ऊर्जा राज्य का मुकाम हासिल करने के लक्ष्य को पूरा करने में सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड (एसजेवीएनएल) का सहयोग संबल प्रदान करेगा। एसजेवीएनएल ने विद्युत उत्पादन क्षेत्र में बेंचमार्क स्थापित किया है और एसजेवीएनएल की संयंत्र का उपलब्धता कारक देश में सर्वाधिक है। राज्य सरकार एसजेवीएनएल की आगामी ऊर्जा परियोजनाओं के लिए आधारभूत संरचना विकसित करने में हरसंभव सहयोग प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
प्रदेश सरकार प्रयास कर रही है कि एसजेवीएनएल की विद्युत परियोजनाओं में हिमाचल प्रदेश की ऊर्जा हिस्सेदारी बढ़ाई जाए।
हिमाचल प्रदेश सरकार ने 1055 करोड़ रुपये के इक्विटी योगदान की एवज में 2355 करोड़ रुपये की लाभांश आय प्राप्त की है और नाथपा झाकड़ी व रामपुर जल विद्युत परियोजनाओं से 12 प्रतिशत निःशुल्क विद्युत प्राप्त की है जिससे अभी तक लगभग 7000 करोड़ रुपये की आय प्राप्त हुई है। नाथपा झाकड़ी जल विद्युत  स्टेशन (एनजेएचपीएस) से बस-बार दर पर लगभग 4200 करोड़ रुपये की 22 प्रतिशत अतिरिक्त विद्युत भी प्राप्त हुई है।
एसजेवीएनएल की हिमाचल प्रदेश में पांच सौर ऊर्जा परियोजनाएं (एसपीपी) प्रस्तावित हैं। जिला ऊना में 112.5 मेगावाट सौर ऊर्जा परियोजना (एसपीपी) थपलान स्थापित की जा रही है। इसके अलावा ऊना जिला में 20 मेगावाट क्षमता की एसपीपी भंजाल और कध, कांगड़ा जिला के फतेहपुर में 20 मेगावाट, सिरमौर जिला में 30 मेगावाट एसपीपी कोलार और कांगड़ा जिला के राजगीर में 12.5 मेगावाट क्षमता  एसपीपी की परियोजनाएं पूर्व-निर्माण चरण में हैं।
प्रदेश सरकार ने आश्वस्त किया है कि निष्पादन एजैंसी को इन परियोजनाओं को निर्माण के लिए वह हर संभव सहयोग प्रदान करेगी तथा कंपनी को सुविधा प्रदान करने के लिए फ्री होल्ड निजी भूमि की खरीद के लिए नीति में संशोधन के लिए आवश्यक कदम उठाएगी। सरकार की योजना आगामी सौर ऊर्जा परियोजनाओं में राज्य सरकार की हिस्सेदारी 12 प्रतिशत तक बढ़ाने की है। इन विद्युत परियोजनाओं के क्रियान्वयन की निगरानी के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया जाएगा ताकि इन्हें निर्धारित समयावधि में पूरा किया जा सके।