पर्यावरण के संरक्षण एवं संवर्धन के साथ साथ क्षेत्र की सुंदरता को बढ़ाने तथा अन्य प्रजातियों के पौधों का विस्तार करने के लिए पौधारोपण अति आवश्यक है। यह बात स्वास्थ्य परिवार कल्याण एवं आयुर्वेद मंत्री राजीव सहजल ने आज शिमला के समीप जाठिया देवी में आयुर्वेदिक विभाग द्वारा आयोजित प्रदेश स्तरीय औषधीय पौधारोपण के कार्यक्रम के शुभारंभ के अवसर पर कही।
उन्होनें कहा की प्रकृति के संरक्षण के लिए हम सभी को भावात्मक रुप तथा प्रतीक रुप से पौधारोपण करना चाहिए, तभी वातावरण को स्वच्छ तथा प्रदूषण रहित रखा जा सकता है।
उन्होनें कहा की लोग प्रकृति का दोहन करने के बजाए शोषण करने में लग जाते है जिस कारण जलवायु परिवर्तन हो रहा है। इस दृष्टि से संपूर्ण विश्व में पर्यावरण संरक्षण के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे है। उन्होनें कहा कि अधिक ऊँचाई वाले क्षेत्रों में देवदार तथा कम ऊँचाई वाले क्षेत्रों में आंवला पीपल रीठा दाड़ू जैसे औषधीय पौधों को रोपित किया जा रहा है।
उन्होनें कहा कि आयुर्वेद हमारे देश की सबसे पुरानी चिकित्सा प़़द्वति है और इसका काफी महत्व है। 1499 के पश्चात ही इस पद्वति का आरम्भ हुआ। प्रदेश में आयुर्वेद का भविष्य काफी उज्ज्वल है। उन्होनें लोगों से औषधीय पौधों का व्यापारिक दृष्टि से उगाने पर भी बल दिया।
उन्होनें कहा कि प्रदेश सरकार का प्रयास है कि आयुर्वेद चिकित्सा सुविधा हर व्यक्ति तक पहुँचे। उन्होनें कहा कि कोरोना काल के दौरान आयुर्वेदिक विभाग के डाॅक्टरों अधिकारियों कर्मचारियों सफाई कर्मचारियों का काफी सहयोग रहा है। उन्होनें लोगों फेस माॅस्क सामाजिक दूरी तथा हाथों को धोने बारे आग्रह किया ताकि इस महामारी से बचाव किया जा सके। इस अवसर पर अश्व गंधा, स्टाॅबेरी, सुगंध बाला, एॅलोबेरा, कुपूर कचली, तुलसी, सदाबहार इत्यादि के लगभग 50 पौधे रोपित किए गए।
इस अवसर पर रवि मेहता, केलाश फेडरेशन के अध्यक्ष व जिला शिमला भाजपा अध्यक्ष, निदेशक आयुर्वेदा डी के रत्न, डाॅक्टर के डी शर्मा, जिला आयुर्वेद अधिकारी, संयुक्त निदेशक डाॅक्टर राखी सिंह, टूटू के पार्षद विवेक शर्मा व ग्राम पंचायत बागी की प्रधान सरिता ठाकुर उपस्थित थे।