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अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम पर जनजारूकता के लिए लगाएं लघु शिविर : ऋग्वेद ठाकुर
मंडी, 26 सितंबर : उपायुक्त ऋग्वेद ठाकुर ने अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत गठित जिला स्तरीय सतर्कता एवं प्रबोधन समिति की त्रैमासिक बैठक लेते हुए अधिकारियों को अधिनियम को लेकर जनजागरूकता बढ़ाने के लिए लघु शिविर लगाने को कहा। उनहोंने कहा कि जनजागरूकता शिविर लगाते हुए कोरोना से बचाव की सभी सावधानियां बरतें। उन्होंने अधिकारियों से लोगों को उनके अधिकारों के बारे में शिक्षित करने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने का आग्रह किया।
बैठक के उपरांत उन्होंने बताया कि इस अधिनियम के तहत न्यायालयों में लम्बित अधिकतर मुकद्मे गवाही के चरण में हैं और कुछ मुकद्मे निपटान के अंतिम पड़ाव में हैं। चालू वित्त वर्ष के दौरान जिला में 50 पीड़ितों को लगभग 48 लाख रुपये की राशि मुआवजे के तौर पर स्वीकृत की जा चुकी है।
अल्पसंख्यक वर्ग के कल्याणार्थ लागू 15 सूत्रीय कार्यक्रम की समीक्षा
इसके अलावा उपायुक्त ने जिला में अल्पसंख्यक वर्ग के कल्याणार्थ लागू 15 सूत्रीय कार्यक्रम के तहत चलाई जा रही विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन अल्पसंख्यक वर्गों के हितों का पूरा ध्यान रखने को प्रतिबद्ध है। जिला में 25 प्रतिशत से अधिक अल्पसंख्यक जनसंख्या वाले क्षेत्रों में 28 आंगनबाड़ी केन्द्रों में अल्पसंख्यक समुदाय के 6 वर्ष से कम उम्र के 335 बच्चे पंजीकृत हैं जिन्हें पोषाहार प्रदान किया जा रहा है। आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से अल्पसंख्यक समुदाय की 48 गर्भवती, धात्री माताओं को पोषाहार व अन्य लाभ दिए जा रहे हैं।
बैठक के दौरान अल्पसंख्यक समुदाय के कल्याण के लिए मेधावी छात्रवृत्ति, तकनीकी शिक्षा के माध्यम से कौशल विकास भत्ता जैसी योजनाओं की भी समीक्षा की गई।
जिला के तीन स्कूलों में पढ़ाया जा रहा उर्दू विषय
उपायुक्त ने कहा कि जिला के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला सरकाघाट व मसेरन और राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला करसोग में उर्दू विषय पढ़ाया जा रहा है। इसके लिए इन स्कूलों में एक-एक उर्दू अध्यापक की नियुक्ति की गई है। यहां कुल 147 बच्चे उर्दू विषय पढ़ रहे हैं, जिनमें 67 छात्राएं व 80 छात्र शामिल हैं।
387 बच्चे ले रहे कंप्यूटर शिक्षा
बैठक में कम्यूटर एप्लिकेशन व समवर्गी क्रियाकलापों में प्रशिक्षण एवं दक्षता वृद्धि योजना की भी समीक्षा की गई। उपायुक्त ने बताया कि जिला में 18 प्रशिक्षण केंद्रों के माध्यम से 387 बच्चों को कंप्यूटर शिक्षा में पोस्ट ग्रेडुएट डिप्लोमा और डिप्लोपा करवाया जा रहा है।
स्थानीय स्तर समिति की बैठक
उपायुक्त ने राष्ट्रीय न्यास अधिनियम के तहत गठित जिला मंडी की स्थानीय स्तर समिति की बैठक की अध्यक्षता भी की। इस दौरान उन्होंने बताया कि जिला में दिमागी पक्षाघात, मानसिक मंदता व बहु विकलांगता ग्रस्त बच्चे, जो 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुके हैं, के लिए 76 कानूनी संरक्षक नियुक्त किए गए हैं। ये कानूनी संरक्षक ऐसे बच्चों के माता पिता या अन्य रिश्तेदार हैं जो ऐसे बच्चों के प्रति किसी भी प्रकार का कानूनी निर्णय लेने के हकदार हैं।
उन्होंने कहा कि दिव्यांग बच्चों को छात्रवृति के लिए 10 लाख रुपये का प्रावधान किया गया है। उन्होंने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को निर्देश वे दिव्यांग बच्चों की छात्रवृति के लिए जिला कल्याण अधिकारी कार्यालय से समन्वयन बना कर काम करें।
जिला में बने 6328 यूनीक डिसेबिलिटी आईडी कार्ड
उपायुक्त ने जिलास्तरीय दिव्यांगता समिति की बैठक लेते हुए कहा कि जिले में दिव्यांगजनों की सुविधा के लिए यूनीक डिसेबिलिटी आईडी कार्ड (यूडीआईडी) बनाए जा रहे हैं। अभी जिला में 14499 दिव्यांगजनों के मैनुअल कार्ड बने हैं, जिन्हें शतप्रतिशत यूनीक डिसेबिलिटी आईडी कार्ड में बदला जाना है। इनमें से 6328 के यूनीक डिसेबिलिटी आईडी कार्ड बनाए जा चुके हैं। उपायुक्त ने सभी दिव्यांग जनों से आग्रह किया वे अपने नजदीकी लोक मित्र केंद्र में यूनीक डिसेबिलिटी आईडी कार्ड बनवाने के लिए आवेदन कर सकते हैं। यह कार्ड दिव्यांगजनों के लिए भविष्य में विभिन्न सरकारी व निजी क्षेत्र की सेवाओं और सुविधाओं का लाभ प्राप्त करने के लिए पहचान व सत्यापन का एकल दस्तावेज होगा।
उन्होंने कहा कि दिव्यांगता प्रमाण पत्र के लिए भी दिव्यांगजन स्वास्थ्य विभाग की साईट पर ऑनलाईन ओवदन कर सकते हैं।
बैठक में जिला कल्याण अधिकारी आर.सी. बंसल, डीएसपी मंडी कर्ण गुलेरिया, जिला न्यायवादी कुलभूषण गौतम, सीएमओ डॉ. देवेंद्र शर्मा, महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी, हिमालय दिव्यांग कल्याण संस्था मंडी की अध्यक्ष हेमलता पठानिया सहित अन्य सरकारी व गैर सरकारी सदस्य उपस्थित थे।