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जन-जातीय जिला किन्नौर की जलवायु विविध प्रकार की होने के कारण यहां पर विभिन्न प्रकार के फलों का उत्पादन संभव है। किन्नौर जिला के निचले क्षेत्रों की जलवायु सम-शितोष्ण तथा उपरी क्षेत्रों की जलवायु शुष्क-शितोष्ण होने के कारण यहां सेब, बादाम, अखरोट, नाशपती व चैरी की खेती के लिए उपयुक्त है। जिले के लोगों का मुख्य व्यवसाय बागवानी है। जिले के 65 पंचायतों में से 2 पंचायतों को छोड़कर सभी पंचायतों में सेब की खेती की जा रही है। जिले के लगभग 95 प्रतिशत से अधिक लोगों के व्यवसाय का साधन सेब की खेती ही है। जिले में वर्तमान में 12,616.24 हैक्टेयर क्षेत्र में बागवानी की जा रही है। वर्ष 2019-20 में जिले में 28,28,182 सेब की पेटियां विभिन्न मंडियों मेें भेजी गई और इस वर्ष 32 लाख 83 हजार 300 सेब की पेटियों के उत्पादन का अनुमान है तथा अभी तक 24 लाख 47 हजार पेटियां विभिन्न मंडियों को भेजी जा चुकी है।
प्रदेश सरकार द्वारा जिले में बागवानी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए अनेक योजनाएं व कार्यक्रम आरंभ किए गए हैं। बागवानों को बागवानी की नवीनतम तकनीक के बारे में जागरूक करने के लिए उद्यान विभाग द्वारा समय-समय पर अनेक जागरूकता शिविरों का आयोजन किया जाता है ताकि बागवान नयी-नयी तकनीकों, सेब व अन्य फलों की नवीनतम किस्मों के बारे में जागरूक हो सकें।
बागवानी उप-निदेशक हेम चंद शर्मा ने बताया कि जिले में एकीकृत बागवानी मिशन के तहत गत अढ़ाई वर्षों में 1 करोड़ 27 लाख से अधिक की राशी व्यय की गई है। योजना के तहत जिले के 829 बागवानों को स्प्रेयर, टिल्लर, मौन-पालन, फल व सब्जी क्षेत्र विस्तार तथा पैकिंग-शैड के निर्माण के लिए उपदान दिया गया है। उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत जिले के किसानों को पाॅवर-स्प्रेयर, मशरूम-कम्पोस्ट खरीदने, जल-भण्डारन टैंक के निर्माण, ग्रेडिंग-पैकिंग शैड बनाने के लिए 19 लाख 33 हजार रुपये का अनुदान दिया गया है जिससे जिले के 145 बागवान लाभान्वित हुए हैं।
बागवानी क्षेत्र में नित नए अनुसंधान के बारे में बागवानों को जागरूक करने के लिए विभाग द्वारा जिले के विभिन्न हिस्सों में प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए गए ताकि बागवान आधुनिक तकनीक अपनाकर अपनी आय को दोगुना कर सके। विभाग द्वारा बागवानों को जिले से बाहर भी प्रशिक्षण के लिए भेजा गया। विभाग द्वारा 105 बागवानों को मशरूम व मौन-पालन का प्रशिक्षण प्रदेश के उच्च तकनीक संस्थानों मे दिलाया गया और इस पर 5 लाख 27 हजार रुपये की राशी व्यय की गई।
20 सूत्रीय आर्थिक कार्यक्रम के अंतर्गत पिछले अढ़ाई वर्षों में आईआरडीपी के 669 बागवानों को लाभान्वित किया गया। इसके अतिरिक्त जिले में पुराने बागीचों के जीर्णोधार के लिए सेब नवीकरण परियोजना के अंतर्गत 100 बागवानों को लाभान्वित किया गया तथा उन्हें 15 लाख 44 हजार रुपये का उपदान प्रदान किया गया।
जिले में जन-जातीय उपयोजना के तहत 327 बागवानों को स्प्रेयर, टिल्लर खरीदने व केंचुआ खाद के लिए गड्डे बनाने के लिए 62 हजार रुपये की राशी प्रदान की गई। इसके अतिरिक्त राज्य योजना के तहत 456 बागवानों को स्प्रेयर, टिल्लर तथा ओला-अवरोधक जाली खरीदने के लिए 87 लाख 28 हजार रुपये का उपदान दिया गया।
जिले में हिमाचल प्रदेश बागवानी विकास परियोजना के तहत 17 कलस्टर का गठन कर 58 बागवानों को विदेशी सेब के पौधों का आबंटन किया गया। इस प्रकार अभी तक जिले में 6,955 आयातीत विदेशी पौधे बागवानों को उपदान दरों पर वितरित किए गए। योजना के तहत 5 प्रशिक्षण शिविर भी लगाए गए जिससे 252 बागवान लाभान्वित हुए हैं।
जिले में मुख्यमंत्री मधु विकास योजना के तहत 31 बागवानों को 20 लाख 95 हजार रुपये का उपदान प्रदान कर लाभान्वित किया गया। जिले में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत बागवानों को टपक सिंचाई प्रणाली बागीचों में स्थापित करने के लिए 8 लाख 13 हजार रुपये का उपदान प्रदान कर 26 बागवानों को लाभान्वित किया गया।
प्रदेश सरकार की बागवान मित्र नीतीयों व कार्यक्रमों तथा जिले के बागवानों के कठिन परिश्रम के चलते जिला आज बागवानी क्षेत्र में प्रदेश भर में अग्रणी जिले के रूप में उभरकर सामने आया है तथा यहां के फलों उत्पाद की देश भर में भारी मांग है।