लवी”- भारत और तिब्बत के मध्य सदियों से प्रचलित एक महत्वपूर्ण व्यापार मेला है और अपनी तरह का एक गौरवशाली, सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक इतिहास और हिमाचल प्रदेश की विरासत का एक अनूठा उदाहरण है। आज भी यह मेला अपनी पूर्व परंपराओं को संजोए हुए है। ऐसा प्रमाण मिला है कि यह मेला पूर्वी बुशहर राज्य और तिब्बत के बीच व्यापार संधि पर हस्ताक्षर करने से संबंधित था। किन्नौर के चरवाहों ने सर्दियों के शुरु होने से पहले गर्म स्थान पर पलायन किया और रास्ते में रामपुर रुका करते थे । लवी में ऊनी वस्तुएं, सूखे फल और दुर्लभ औषधीय जड़ी-बूटियों को लोगों द्वारा खरीदा जाता है । इस मेले में विशेषकर वह कारीगर, जो प्राचीन सभ्यताओं को लेकर और परंपरागत बर्तनों से युक्त हस्तकला का प्रदर्शन करते है, उनको भी दर्शाया जाता है । यह सत्य है कि इस मेले से दो देशों के बीच मैत्री का प्रमाण परिलक्षित होता है I
एसजेवीएन के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री नंद लाल शर्मा जी की ओर से एक बार पुनः सभी प्रदेशवासियों को लवी मेले के ढेरों शुभकामनाएं !!
सभी जनमानस से इस कोरोना के संकट में सतर्क तथा व्यक्तिगत दूरी बनाए रखने का आग्रह ।