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जोगिन्दर नगर, 26 नवम्बर-मंडी जिला के जोगिन्दर नगर के शानन स्थित जसवाल ट्राउट मछली फॉर्म की पहुंच न केवल हिमाचल प्रदेश बल्कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित पूरे उत्तरी भारत में है। मजेदार बात तो यह है कि इस फॉर्म की तैयार मछली के दीवाने देशी व विदेशी पर्यटकों सहित देश की जानी मानी राजनैतिक हस्तियां भी रहीं हैं। ट्राऊट मछली उत्पादन में जसवाल ट्राउट फॉर्म शानन प्रदेश में एक अहम स्थान रखता है।
जब इस संबंध में जसवाल ट्राउट फॉर्म के संचालक दोनों भाईयों राजीव व संजीव जसवाल से बातचीत की तो उन्होने बताया कि उनका यह फॉर्म उनके परिवार के लिए स्वरोजगार का एक बड़ा माध्यम बन गया है। इस फॉर्म से न केवल उनके परिवार का भरण-पोषण हो रहा है बल्कि आज वे प्रतिवर्ष लाखों रूपये का ट्राउट मछली का कारोबार भी कर पा रहे हैं।
उन्होने बताया कि वर्ष 2001 में मात्र कुछ दिनों के लिए कॉर्प मछली पालन से शुरू किया गया यह कार्य आज ट्राउट मछली पालन के तौर पर एक बहुत बड़े कारोबार में तबदील हो गया है। यहां की भौगोलिक परिस्थितयों को देखते हुए ट्राउट मछली उत्पादन की ओर कदम बढ़ाए जिसके न केवल बेहतर परिणाम सामने आए हैं बल्कि उनका यह स्वरोजगार का जरिया धीरे-धीरे एक बड़े कारोबार में बढ़ता गया है। ट्राउट मछली पालन को उस समय नए पंख लग गए जब उन्होने इसकी हैचरी में भी सफलता प्राप्त कर ली। वर्ष 2003 में ट्राउट हैचरी तैयार होने से उनके मछली उत्पादन के काम को ओर अधिक बल मिला तथा अब दोनों भाई मिलकर इसे आगे बढ़ा रहे हैं।
उनका कहना है कि उनकी हैचरी में 98 प्रतिशत तक की सफलता मिली है जिससे उन्हे आय का अन्य बड़ा स्त्रोत मिल गया है। हैचरी को आधुनिक तकनीक प्रदान करते हुए उन्होने तुर्की से लाए गए वर्टिकल इंक्युबेटर स्थापित किये हैं जो संभवता पूरे देश में यह पहला प्रयास है। उन्होने बताया कि ट्राउट हैचरी में किये गए बेहतर प्रयासों को चलते उन्हे वर्ष 2019 में बिलासपुर में आयोजित कार्यक्रम में बेस्ट हैचरी आवार्ड से भी नवाजा जा चुका है।
दिल्ली सहित पूरे उत्तरी भारत में है जसवाल ट्राउट मछली फॉर्म की पहुंच
संजीव व राजीव जसवाल का कहना है कि उनकी ट्राउट की पहुंच राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित उत्तर के भारत के अनेक राज्यों जिसमें चंडीगढ़, पंजाब व उत्तराखंड तक है। वर्तमान में वे प्रतिवर्ष लाखों रूपये तक का ट्राउट का उत्पादन कर रहे हैं। इसके अलावा हैचरी से भी प्रतिवर्ष औसतन 3 से 4 लाख रूपये तक की आय
भी प्राप्त हो रही है। इनका कहना है कि हैचरी से तैयार बीज जहां आसपास के किसान प्राप्त करते हैं तो वहीं उत्तराखंड राज्य में भी भेजा जाता है। उनकी ट्राउट उत्पादन का एक बड़ा भाग इसी क्षेत्र के आसपास बिक जाता है जबकि मांग होने पर इसे दूसरे राज्यों व बड़े शहरों को भी भेजा जाता है