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न्यू टूटू शिमला में ढहाए गये दो मंदिरों को और बिजली बोर्ड की जमीन पर किए जाने वाले अतिक्रमण करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कार्यवाही के लिए आनन-फानन में विद्युत बोर्ड ने कुछ लोगों के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवा दी जब कि एक्जीक्युटिव डायरेक्टर पर्सनल ने पांच लोगों के खिलाफ न्यायालय में दावा ठोक दिया और खसरा नम्बर 63, 67, 68 और 69 पर स्टे लेकर समन की तामील भी करवा दी।

नगर निगम ने अवैध कब्जा को निरस्त करने के लिए आदेश पारित कर दिए हैं। मौका पर जे.ई. व उनकी टीम आई और अवैध निर्माण की फोटो और पेमाईष ले ली गई है। लगभग चालीस वर्ष पुराने मंदिरों को ढहा कर निजी स्वार्थ के लिए बिना किसी सरकारी अनुमति के सरकारी जमीन पर डंगा तोड़ना और पिल्लर खड़े नगर निगम और अन्य विभागों द्वारा बार-बार मना किए जाने पर भी निर्माण कार्य जाररी रखा जाना बहुत ही धैर्य का काम है और वह भी तब जब उन लोगों का इस काम के लिए कोई पैसा नहीं लगा है। सारा पैसा लोगों से मांग कर उनकी धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ कर इक्ट्ठा किया गया। गौररतलब कि इन लोगों का मंदिर से कोई लेना-देना नहीं। न ये मंदिर में आते हैं और न ही इनका कोई भक्ति से लेना-देना है। मंदिर में न कोई त्योहार मनाया जाता है और न ही प्रतिदिन पूजा-पाठ ही होता है। मंदिर में खंडित मूर्तियां विद्यमान हैं जिनकी तरफ इन में से किसी ने भी ध्यान देने की आवश्यकता नहीं समझी। कई वर्षों से मंदिर की सफाई नहीं करवाई गई। इन्हें तो मंदिरों को तोड़ कर मोटा चन्दा इकट्ठा कर मोटी रकम निर्माण कार्य में खर्च हुइ दिखानी थी।

अब इनमें से कुछ का कहना है कि उनके खिलाफ आरोप निराधार हैं। उन्होंने तो मंदिर कमेटी के कहने पर ही सब किया है और मंदिर कमेटी के प्रधान, सचिव, अन्य पदाधिकारी और ठेकेदार का कोर्ट केस में नाम नहीं है क्योंकि सारी भूमिका उन्हीं पर आधारित थी। अब देखना यह है कि विद्युत विभाग प्रतिवादियों की लिस्ट में और किन-किन लोगों के नाम दर्ज करवाती है।

आज आवश्यकता इस बात की है कि नियम और कानून का कठोरता से पालन हो, न सरकारी सम्पति को नुकसान हो और न ही कोई सरकार की जमीन पर अतिक्रमण कर अपराध करने की हिम्मत जुटा सकें। फिर भी यदि कोई इस गैर-कानूनी कार्यों में संलिप्त पाया जाता है तो उसे कठोर दण्ड का भागी मानकर दण्ड दिया जाना ही उचित बैठता है। इस तरह के लोग भी अपराध करने में संकोच करेंगे जिससे समाज और देश की कानून समस्या से प्रशासन निजात पा सकेंगे। देखना यह है कि विद्युत बोर्ड केस में दर्ज किए जाने वाले अन्य छूटे हुए सभी प्रतिवादियों को कब केस में शामिल करती है।

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