शूलिनी लिटरेचर फेस्टिवल के अंतिम दिन की शुरुआत अंग्रेजी कविता पर एक राइविंग सेशन से हुई, जिसमें अरुंधति सुब्रमण्यम, सुक्रिता पॉल कुमार और संजुक्ता दासगुप्ता का कथन शामिल था। सत्र का संचालन रोशन लाल शर्मा द्वारा किया गया । दूसरा सत्र पद्म श्री शुभा मुद्गल के साथ शुरू हुआ जिसका संचालन आशू खोसला द्वारा किया गया । मुदगल ने अपनी मधुर आवाज,शांत विचारों और मजाकिया बात चीत द्वारा सब को प्रभावित किया।
दिन के तीसरे सत्र में नील डिसिल्वा, केतकी पटवर्धन, और शर्मिष्ठा शेनॉय ने हॉरर और स्पाइन चिलरों पर चर्चा की और इस सत्र को आराधिका शर्मा द्वारा संचालित किया गया। इस विशेष सत्र में वेलेंटाइन डे वाले दिन आयोजित किया गया और उपस्थित सभी लोगों ने ईस साहित्य फेस्ट का लाभ उठाया।
दोपहर के सत्रों की शुरुआत उर्दू शायरी पर अकीब साबिर, फैसल फहमी और पल्लव मिश्रा जैसे युवा कवियों के साथ एक द्विभाषी सत्र से हुई। सत्र का संचालन अनीसुर रहमान ने किया, जिन्होंने अपनी रचना भी साझा की।
मीनाक्षी एफ पॉल द्वारा प्रशांत पिंग, प्रसून रॉय और मौलश्री महाजन के साथ बच्चों के साहित्य पर एक सत्र का संचालन किया गया , जहां युवा दर्शकों के लिए लेखन की चुनौतियों पर काफी विस्तार से चर्चा की गई । इसके बाद मंजरी प्रभु के साथ एक मुलाकात-से-लेखक सत्र हुआ जिसमें उनके शिल्प और कार्यों पर चर्चा की गई। अंतिम सत्र मंजरी प्रभु, मितुल दीक्षित और विवेक अत्रे के साथ “लिट-फेस्ट के बारे में” था। इन दोनों सत्रों का संचालन मंजू जैदका ने किया।
तीन-दिवसीय कार्यक्रम का समापन कुलपति अतुल खोसला और लिटफेस्ट के सह-निदेशकों, आशु खोसला और मंजू जैदका द्वारा आयोजिक टीम को धन्यवाद देने के साथ हुआ। आयोजक टीम में पूर्णिमा बाली, नीरज पिज़ार, और साक्षी सुंदरम और तकनीकी टीम चैतन्य मुदगिल और कमल कांत वशिष्ठ शामिल थे। बुक बेकर्स बुक एजेंसी के सुहैल माथुर को भी मदद और समर्थन के लिए धन्यवाद दिया गया।