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हिमाचल प्रदेश में स्कूल खुलने के उपरांत निजी स्कूलों के द्वारा नई फीस नीति अपनाने कि ओर इशारा किया किया है इस नीति के तहत इन निजी स्कूलों ने किसी से भी परामर्श किए बिना ही नए शिक्षा सत्र में एकतरफा फैसला लेने हेतु अभिभावकों से बढे हुए दर से फीस लेने की तैयारी की जा रही है । तभी तो सोमवार को निजी स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस किया जिसमें इन्होंने पिछले साल माननीय उच्च नयायलय के आदेशों के अनुसार एनुअल चार्जेज माफ़ करने के आदेश को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया और कहा कि यह स्थगित किया गया था नाकि माफ़। यदि ये निजी स्कूल एकतरफा फीस वृद्धि का फैसला लेते हैं तो हिमाचल प्रदेश अभिभावक संघ पुरज़ोर तरीके से विरोध करेगा।

इस सम्बन्ध में हमारा यह अभिभावक संघ यह कहना चाहता है कि हमारा देश कल्याणकारी राष्ट्र होने के नाते शिक्षा मौलिक मानव अधिकार के रूप में दर्जा प्राप्त करता है और मौलिक अधिकार के क्षेत्र में लाभ पर ध्यान न हो कर लोक कल्याण, समाज सेवा बिना किसी लाभ हानि के का क्षेत्र माना जाता है। हमारा यह भी मानना है कि देश के कानून के पालन करते हुए किसी भी निजी स्कूल संस्थान को कोई वित्तीय नुक्सान ना हो परन्तु यह शिक्षण संस्थान शिक्षा के मंदिर को घोर व्यापर के केंद्र भी तो ना बनायें । इन निजी स्कूलों को शिक्षा नियामक कानून का पालन करने में भी किसी तरह के कोई हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए। यदि होती है तो ऐसी क्या मज़बूरी है जो ये निजी शिक्षण संस्थान इस शिक्षा नियामक कानून का विरोध क्यों कर रहे हैं। ऐसा है तो इनकी मंशा क्या है ? आखिरकार हमारे देश के कानून सब पर लागू होना चाहिए।

अतः हम लोग एक स्वर से मांग करते है कि हमारे हिमाचल प्रदेश कि लोकप्रिय सरकार इस मामले में हस्तक्षेप करें। जैसे कि विगत वर्ष में भी इन निजी स्कूलों ने माननीय उच्च न्यालयालय और प्रदेश सरकार के वावजूद भी टालमटोल का रवैय्या अपनाया था बाद में कई बार प्रदेश सरकार के हस्तक्षेप के उपरांत ही अभिभावकों को कोरोना वर्ष में एनुअल चार्जेज से सम्बंधित रहत मिल पाई थी।