सोलन, 29 जुलाई July
एमएस स्वामीनाथन स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर, शूलिनी विश्वविद्यालय द्वारा लैंकेस्टर यूनिवर्सिटी यूके के सहयोग से एक वर्चुअल नेटवर्किंग इवेंट का आयोजन बुधवार को पर्यावरण में फार्मास्यूटिकल और पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स (पीपीसीपी) और जल प्रदूषण के समाधान के बारे में चर्चा करने के लिए किया गया।
डॉ बिनॉय सरकार, लैंकेस्टर यूनिवर्सिटी, यूके ने परियोजना पर अपने विचार साझा किए और बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ (बीबीएन) क्षेत्र में डेटा सूचित अनुसंधान, प्रौद्योगिकी विकास और मूल्यांकन, आउटरीच, और शिक्षा गतिविधियों के विकास और कार्यान्वयन की योजना का प्रस्ताव दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत शूलिनी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अतुल खोसला के स्वागत भाषण से और विशिष्ट अतिथि प्रो. पीके खोसला कुलाधिपति, शूलिनी विश्वविद्यालय के संबोधन से हुई। प्रो. अतुल खोसला ने कहा कि हमें यहां शूलिनी में सीवेज के पानी को पीने योग्य बनाने के लिए विभिन्न तकनीकों पर काम करना है और नई तकनीक ईजाद करने का प्रयास किया जाएगा और प्रो. पी.के. खोसला ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और जल संरक्षण के लिए हिमालय से संबंधित क्षेत्रों में अनुसंधान करने का सामूहिक संकल्प लें।
पैनल ने जल प्रदूषण के वैश्विक मुद्दों और जल प्रदूषण से निपटने के तरीकों और तकनीकों के बारे में चर्चा की। वक्ताओं ने जल में क्या है, दुनिया की विभिन्न नदियों में सतही जल में उभरते प्रदूषकों पर शोध, सूक्ष्म और नैनो प्लास्टिक और उभरते हुए दूषित पदार्थोंआदि विषयों पर प्रस्तुति दी।
प्रो. सुपर्णा मुखर्जी, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-बॉम्बे, भारत ने उभरते हुए दूषित पदार्थों के रूप पानी और अपशिष्ट जल की निगरानी और चुनौतियां पर व्याख्यान दिया, और कहा कि अपशिष्ट जल में फार्मास्यूटिकल्स का विश्लेषण करते समय हमें प्रो-संदूषकों के प्रभाव के बारे में पता होना चाहिए।
प्रो. गोपाल कृष्ण दरभा, भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान, कोलकाता ने
गंगा नदी बेसिन में सूक्ष्म और नैनो-प्लास्टिक के भविष्य पर चर्चा की । शूलिनी विश्वविद्यालय की प्रो. गुरजोत कौर ने इस विषय पर अपने विचार साझा किए कि पानी में क्या है? अपशिष्ट जल में सूक्ष्म प्लास्टिक के साथ फार्मास्यूटिकल्स की सहभागिता। वियतनाम विज्ञान और प्रौद्योगिकी अकादमी (VAST), वियतनाम के प्रो. ले थी फुओंग क्विन ने हनोई शहर में सतही जल में उभरते प्रदूषकों पर अनुसंधान के मुद्दों पर चर्चा की। प्रो. सर्व मंगला प्रवीणा, यूनिवर्सिटी पुतरा मलेशिया, मलेशिया ने मलेशियाई नदी के पानी में उभरते प्रदूषक अनुसंधान पर विचार साझा किए और मलेशियाई नदी के पानी में नदी जल प्रदूषकों पर प्रकाश डाला।
सत्र को जमीनी स्तर पर पर काम करने के नोट पर संपन्न किया गया। शूलिनी विश्वविद्यालय के डॉ शांतनु मुखर्जी द्वारा समापन टिप्पणी और धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया जो कार्यक्रम के आयोजक भी है ने कहा कि हमारी भविष्य की परियोजनाएं जलीय और स्थलीय वातावरण में फार्मास्यूटिकल उत्पादों पर शोध होनी चाहिए।
इससे पहले प्रो वाईएस नेगी शूलिनी विश्वविद्यालय ने वक्ताओं का परिचय दिया और कहा कि हमें जल संसाधनों के संरक्षण के तरीकों पर गौर करना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि वे प्रदूषित न हों।