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मंडी, 10 अक्तूबर। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान ने कहा कि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण यह तय बना रहा है कि पैसे की कमी के कारण कोई न्याय से वंचित न रहे। इसके लिए निशुल्क कानूनी सलाह व सहायता का प्रावधान किया गया है। उन्होंने बताया कि विधिक प्राधिकरण आर्थिक दृष्टि से गरीब, पिछड़े और कमजोर वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, बूढ़े माता-पिता, असहाय महिलाओं व बच्चों को निशुल्क कानूनी सहायता प्रदान करती है। अन्य पात्र व्यक्ति, दिव्यांग व्यक्ति और जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, वे भी निशुल्क कानूनी सहायता के लिए पात्र हैं।
वे रविवार को राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मंडी द्वारा संयुक्त रूप से उपायुक्त कार्यालय सभागार मंडी में पैन इंडिया अवेयरनेस एवं आउटरीच अभियान’ के तहत आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस अवसर पर उनकी धर्मपत्नी अमनदीप चौहान भी उनके साथ रहीं।
जागरूकता पर जोर
न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान ने कहा कि आम नागरिकों को उनके कानूनी अधिकारों एवं कर्तव्यों को लेकर जागरूक करने पर विधिक सेवा प्राधिकरण का विशेष बल है। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा महात्मा गांधी जी की जयंती पर 2 अक्तूबर से आरंभ देशव्यापी मुहिम ’पैन इंडिया अवेयरनेस एवं आउटरीच अभियान’ के जरिए यह प्रयास किए जा रहे हैं कि लोगों से मिलकर, उनकी समस्याओं को जानकर और जमीनी हकीकत समझ कर समस्याओं के व्यवहारिक समाधान पर जोर दिया जाए।
मध्यस्थता से निपटाएं पारिवारिक विवाद
कार्यक्रम में उपस्थित हितधारकों से संवाद के दौरान न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान ने लोगों से पारिवारिक विवादों को मध्यस्थता से निपटाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि परिवारों का आपसी सौहार्द बनाए रखने का महत्व समझना जरूरी है। पारिवारिक रिश्तों को बचाने के लिए आपसी सुलह और अदालत के बाहर समझौते के कोशिश की जानी चाहिए।
न्यायतंत्र में ‘नॉन परफॉर्मेंस’ की नहीं है जगह
न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान ने कहा कि न्यायतंत्र में  ‘नॉन परफॉर्मेंस’ ’ की कोई जगह नहीं है। कामकाज की निगरानी की सुदृढ़ व्यवस्था है। सभी न्यायाधीश-न्यायिक दंडाधिकारी मामलों के समयबद्ध निपटारे के लक्ष्य के साथ काम करते हैं। उच्च न्यायालय के सभी न्यायाधीश देर रात तक काम करते हैं ताकि लोग न्याय से वंचित न रहें।
संवाद के दौरान अदालतों में मामलों के निपटारे में देरी के सवाल पर न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान ने कहा कि अन्य कारणों के साथ साथ अदालतों में अनावश्यक व झूठे मुकदमे भी न्यायिक प्रक्रिया में देरी का कारण बनते हैं। इसे लेकर हमें अपने नागरिक कर्तव्य समझने की जरूरत है।
कोर्ट पैनल में शामिल वकीलों को लेकर पूछे एक सवाल पर बोलते हुए न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान ने न्यायिक अधिकारियों को निर्देश दिए कि जो वकील मामलों को गंभीरता से नही लेते और लोगों को अच्छी सेवाएं नहीं दे रहे, उन्हें पैनल से बाहर करें।
कार्यक्रम में जिला एवं सत्र न्यायाधीश राकेश कैंथला ने न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान का स्वागत करते हुए कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गांधी जी जयंती पर आरंभ किए गए इस अभियान में उनके हर व्यक्ति के स्वराज हासिल करने के सपने की बानगी है। स्वराज जिसमें उसे अपने अधिकारों की जानकारी हो और वह उनके लिए लड़ सके। उन्होंने गांधी जी के सपनों का भारत बनाने के लिए मिलकर प्रयास करने का आह्वान किया।
अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश हरीश शर्मा ने सभी मेहमानों का आभार जताया। उन्होंने कहा कि हमें अधिकारों के साथ साथ नागरिक कर्तव्यों का बोध होना जरूरी है। उन्होंने परिवारों को बचाने के लिए विवाद होने पर आपसी सुलह समझौते का मार्ग अपनाने का आग्रह किया।
कार्यक्रम में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव प्रेम पाल रांटा एवं उनकी धर्मपत्नी सरोज रांटा,  राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के प्रशासनिक अधिकारी हितेंद्र शर्मा, अतिरिक्त उपायुक्त जतिन लाल, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विवेक चाहल, एसडीएम सदर रितिका जिंदल, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव सूर्य प्रकाश, मंडी बार एसोसिएशन के प्रधान नीरज कपूर, अधिवक्तागण, आशा, एएनएम और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता तथा अन्य हितधारक व अधिकारी मौजूद रहे।
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