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राज्य कर एवं आबकारी विभाग के एक प्रवक्ता ने आज यहां बताया कि प्रदेश सरकार ने हिमाचल प्रदेश स्वर्ण जयंती (विरासत मामले समाधान) योजना, 2021 को मंजूरी प्रदान की है और यह अधिसूचित कर दी गई है। यह योजना विभिन्न फोरम में लंबित सभी विरासत मामलों के समाधान और बकाया राशि की वसूली करने में मदद करेगी।

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश स्वर्ण जयंती (विरासत मामले समाधान) योजना-2021 एक महत्वकांक्षी योजना है और जीएसटी पूर्व करदाताओं के लिए कर देयता और विवादों को हल करने के लिए लाई गई है। इस योजना के तहत, करदाता बकाया कर राशि का भुगतान कर सकते हैं और कानून के तहत किसी भी अन्य परिणाम से मुक्त हो सकते हैं। इससे करदाताओं को संतोषजनक राहत मिलेगी क्योंकि उन्हें ब्याज और जुर्माने के बदले केवल निपटान शुल्क देना होगा। करदाताओं को दस्तावेजों को संकलित करने, लंबित वैधानिक प्रपत्रों को एकत्र करने और आकलन को पूरा करने के लिए समाधान तैयार करने में काफी मेहनत करनी पड़ती है। जीएसटी लागू होने के उपरांत भी विभिन्न कंपनियों, उद्योग और डीलरों के पहले के विवाद लम्बित हैं।

यह योजना हिमाचल प्रदेश के राजपत्र में योजना के प्रकाशन से छह महीने की अवधि के लिए वैध होगी। योजना के दो चरण होंगे। पहले चरण के चार महीनों में डीलर को 10 प्रतिशत की दर से निपटान शुल्क के साथ देय कर का भुगतान करना होगा और दूसरे चरण के दो महीनों में पहले चरण में लागू निपटान शुल्क का एक सौ पचास प्रतिशत कर (अर्थात 150 प्रतिशत) देय राशि के साथ अदा करना होगा। हितधारक या डीलर विभाग के संबंधित सर्कल या जिला कार्यालयों में जाकर योजना के तहत आवेदन कर सकते हैं। डीलरों को लागू निपटान शुल्क संबंधित खाते के शीर्ष में आॅनलाइन जमा करना होगा और कोई मैन्युअल शुल्क स्वीकार नहीं किया जाएगा।