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योगानंद सेंटर फॉर थियोलॉजी, शूलिनी विश्वविद्यालय  में “युगों के रहस्य को उजागर करना” विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन शुक्रवार को किया गया जिसकी अध्यक्षता योगानंद सेंटर फॉर थियोलॉजी के अध्यक्ष  विवेक अत्रे द्वारा की गयी।
 यह संगोष्ठी युग चक्र की अवधारणा पर केंद्रित थी  जिसे भारतीय शास्त्रों में समझाया गया है।
पैनल चर्चा में भाग लेने वाले दो प्रख्यात प्रोफेसरों में प्रोफेसर डॉ केदार नाथ बनर्जी, प्रोफेसर एमेरिटस आध्यात्मिकता, शूलिनी विश्वविद्यालय और डॉ विनेश्वर भट्ट, अमृता दर्शन इंटरनेशनल सेंटर फॉर स्पिरिचुअल स्टडीज के सहायक प्रोफेसर थे।
कार्यक्रम की शुरुआत योगानंद सेंटर फॉर थियोलॉजी के संरक्षक द्वारा दिए गए स्वागत भाषण के साथ हुई, इस आयोजन का  समन्वय वाईसीटी की समन्वयक डॉ प्रेरणा भारद्वाज द्वारा  किया गया ।
संगोष्ठी में चांसलर प्रोफेसर पी के खोसला ने एक रिकॉर्डेड वीडियो संदेश दिया। उन्होंने प्राचीन इंडकम ज्ञान का अध्ययन करने की आवश्यकता पर बल दिया।

डॉ केदार नाथ बनर्जी की बात स्वामी श्री युक्तेश्वर गिरि जी द्वारा लिखित पुस्तक ‘द होली साइंस’ पर आधारित थी। डॉ. बनर्जी ने मनु स्मृति और सूर्य सिद्धांत जैसे अन्य भारतीय शास्त्रों के समर्थन से वैज्ञानिक गणना के साथ युग की व्याख्या की। उन्होंने समझाया कि हम अब द्वापर युग में हैं और यह युग वर्ष 1699 में समाप्त हुआ और 1700 से द्वापर युग शुरू हुआ।