Mon. May 6th, 2024

अनुसन्धान निदेशालय, चम्बाघाट, सोलन द्वारा 10 सितम्बर, 2023 को
26 वें राष्ट्रीय मशरूम मेले का आयोजन किया गयाI यह मेला सोलन शहर को मशरूम सिटी
आफ इंडिया घोषित करने के उपलक्ष्य पर प्रति वर्ष आयोजित किया जाता है जिसमें मशरूम
पर विकसित अनेक प्रजातियों एवं तकनीकियों को मशरूम उत्पादकों को दिखाया जाता है I
मेले के मुख्यातिथि डॉ. विजय सिंह ठाकुर, पूर्व कुलपति, डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी
एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी, ने इस अवसर पर अपने सम्बोधन में देश के विभिन्न
हिस्सों के लिए मशरूम की प्रजातियां एवं तकनीकियां विकसित करने के लिए खुम्ब
अनुसन्धान निदेशालय, चम्बाघाट, सोलन की प्रशंसा की तथा कहा कि वैज्ञानिकों एवं किसानों
के अथक प्रयासों की बजह से ही कुछ वर्षों में मशरूम का उत्पादन कई गुणा बढ़ गया हैI
उन्होंने गुच्छी मशरुम पर अधिक काम करने पर जोर दिया तथा बड़े खुम्ब उत्पादकों से
बटन मशरुम के अलावा अन्य खुम्बों पर कार्य करने का आह्वान किया! मेले में शामिल
विशेष अतिथि डॉ. ब्रजेश सिंह, निदेशक, केंद्रीय आलू अनुसंधान निदेशालय, शिमला ने भी
आये हुए किसानों एवं प्रगतिशील मशरूम उत्पादकों को संबोधित कियाI उन्होंने निदेशालय
द्वारा किए जा रहे बेहतरीन कार्यों की सरहाना की! खुम्ब अनुसन्धान निदेशालय, सोलन के
निदेशक डॉ. वी. पी. शर्मा, ने सभी का स्वागत करने के बाद सोलन शहर में खुम्ब उत्पादन
की शुरुआत के इतिहास पर चर्चा करते हुए पिछले वर्ष खुम्ब पर हुए कार्यों पर प्रस्तुति दीI
इस अवसर पर उन्होंने मशरुम की सात नई तकनीकियों के बारे में भी बताया जिनका इस
वर्ष 16 जुलाई, 2023 को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई में स्थापना दिवस पर
विमोचन किया! मुख्यातिथि द्वारा देश के विभिन्न राज्यों से चयनित 4 मशरूम उत्पादकों को
प्रगतिशील मशरूम उत्पादक पुरस्कार से सम्मानित किया गया जिनमें एक किसान महिला
श्रीमती बिनीता कुमारी बिहार से थीI मेले में विभिन्न तकनीकों पर 35 स्टालों के माध्यमों
से प्रदर्शनी भी लगाई गई जिनमें से तीन स्टालों को बेहतरीन स्टाल लगाने के लिए पुरस्कृत
किया गया! निदेशालय के वैज्ञानिकों ने खुम्ब के अनेक विषयों पर खुम्ब उत्पादकों द्वारा
उठाये गए प्रश्नों के उत्तर दिए I इस अवसर पर पूर्व प्राध्यापक डॉ.सी.एल. जंडायक व प्रधान
वैज्ञानिक डॉ. बी.विजय भी इस मेले में शामिल हुए! इस मेले में देश भर से 750 से अधिक
मशरुम उत्पादकों ने भाग लिया! कार्यक्रम के अंत में डॉ बृज लाल अत्री, प्रधान वैज्ञानिक ने
धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया I