कार्यकारी परियोजना निदेशक (आत्मा) डाॅ. सोमराज जिला किन्नौर ने आज यहां प्राकृतिक खेती के घटकों से मटर व सेब में लगने वाली बीमारियों से बचाव के बारे दिए उचित दिशा-निर्देश।
उन्होंने कहा कि किन्नौर जिले की मुख्य फसल सेब व मटर है। इन फसलों में मुख्य तौर पर चूणिल आसिता (Powdery Mildew) की बीमारी पायी जाती है। इससे बचाव के लिए प्राकृतिक खेती में 20 लीटर जीवामृत को 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें तथा 15 दिनों बाद 20 ली0 जीवामृत में 10 लीटर खट्टी लस्सी 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। इस उपाय से इस बीमारी से होने वाले नुकसान को बचाया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि फल छेदक की बामारी से बचाव के लिए 8 लीटर अग्नि अस्त्र 200 लीटर पानी में घोलकर स्प्रै करें व 15 दिनों के भीतर 8 लीटर ब्रह्मस्त्र 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
उन्होंने कहा कि जिले की हर पंचायत में प्राकृतिक खेती से घटकों को बनाने की ट्रेनिंग दी जा चुकी है। उन्होंने कहा कि जिले में युवाओं व आंगनवाड़ी कार्यकताओं को भी प्राकृतिक खेती करने का प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि युवा इस खेती से अवगत हो सकें व आंगनवाड़ी कार्यकर्ता अपने किचन गार्डन में इस खेती से विष मुक्त उत्पाद तैयार कर सकें।
.0.