30 नवम्बर, 2021
राष्ट्रीय महिला आयोग व हिमाचल प्रदेश राज्य महिला आयोग के संयुक्त तत्वाधान में आज यहां रिकांग पिओ स्थित उपायुक्त कार्यालय के सभागार में महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाए गए घरेलू हिंसा अधिनियम-2005 को लेकर सुरक्षा अधिकारियों, पुलिस अधिकारियों, सेवा प्रदत्ताओं के लिए एक कार्यशाला/प्रशिक्षण का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता राज्य महिला आयोग की अध्यक्षा डाॅ. डेजी ठाकुर ने की।
उन्होंने बताया कि कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य सुरक्षा अधिकारियों, पुलिस अधिकारियों व सेवा प्रदत्ताओं में आपसी सामांजस्य बनाना है ताकि कार्यक्षमता को और बढ़ाया जा सके। उन्होंने कहा कि इस अधिनियम को लागू करने में तथा महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने तथा प्रताड़ित महिलाओं को न्याय दिलाने में सुरक्षा अधिकारी की अहम भूमिका रहती है।
डाॅ. डेजी ठाकुर ने कहा कि यदि सुरक्षा अधिकारी व पुलिस अधिकारी आपस में सही प्रकार से समन्वय स्थापित करें तो प्रताड़ित महिलाओं को शीघ्र न्याय मिल सकता है। उन्होंने जिले के सुपरवाईजरों से भी आग्रह किया कि वे सरकार द्वारा महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के बारे में भी महिलाओं को जागरूक करें ताकि महिलाएं इन योजनाओं का लाभ उठाकर आर्थिक रूप से सशक्त हो सकें। उन्होंने कहा कि यदि महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त होंगी तो उन्हें किसी पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी और वे अपने अधिकारों का सही प्रकार से संरक्षण करने में भी सक्षम होंगी।
उन्होंने कहा कि हमें महिलाओं के प्रताड़ना सबंधी मामलों में संवेदनशीलता से कार्य करना होगा तथा समाज की सोच बदलने के लिए भी पहल करनी होगी ताकि समाज में बेटा तथा बेटी को बराबर का दर्जा मिल सके। उन्होंने कहा कि इस कार्य में सखी-सेन्टर भी अहम भमिका निभा सकते हैं तथा उन्हें लोगों विशेषकर महिलाओं को जागरूक करने के लिए पंचायत स्तर पर जागरूकता शिविर लगाने चाहिए।
इस अवसर पर अधिवक्ता बबिता नेगी ने घरेलू हिंसा अधिनियम-2005 के तहत महिलाओं को दी जाने वाली राहतों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने घरेलू हिंसा के विभिन्न प्रकारों के बारे में भी बताया तथा साथ ही इनसे प्रताड़ित को अधिनियम के तहत किस प्रकार राहत मिल सकती है इस बारे में भी जानकारी दी।
अधिवक्ता मनोज कुमार नेगी ने सुरक्षा अधिकारियों, पुलिस अधिकारियों व सेवा प्रदत्ताओं की शक्तियों व कर्तव्य के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पुलिस अधिकारियों तथा सुरक्षा अधिकारियों को अपने कर्तव्य व कार्यों के बारे में कानून संबंधी पूरी जानकारी होना आवश्यक है तभी वे पीड़ित महिला को न्याय दिलाने में सक्षम हो सकते हैं। उन्होंने सुरक्षा अधिकारियों द्वारा भरे जाने वालों प्रपत्रों (डीआईआर) को भी सही प्रकार से भरने को कहा ताकि जब मामला अदालत में जाता है तो वहां पीड़ित को जल्द न्याय मिल सके।
हिमाचल प्रदेश राज्य महिला आयोग के सहायक जिला न्यायवादी एवं विधि अधिकारी अनुज वर्मा ने कार्यशाला आयोजित करने के उद्देश्य के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यशाला व प्रशिक्षण शिविर प्रदेश के अन्य जिलों में भी किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कार्यशाला की फीडबैक के आधार पर वे प्रदेश सरकार को अपने सुझाव व संस्तुत्तियां देंगे ताकि महिला आयोग को और सुदृढ़ किया जा सके।
बाल विकास एवं संरक्षण अधिकारी हरिश शर्मा ने मुख्य अतिथि व कार्यशाला में उपस्थित सभी का स्वागत किया। उन्होंने बताया कि जिले में वर्ष 2019-20 के मुकाबले वर्ष 2020-21 में महिलाओं के उत्पीड़न संबंधी मामलों में वृद्धि दर्ज की गई। उन्होंने बताया कि वर्ष 2019-20 में पूह उपमण्डल में महिला उत्पीड़न का कोई मामला सामने नहीं आया जबकि वर्ष 2020-21 में 30 मामले दर्ज किए गए हैं। इसी प्रकार कल्पा उपमण्डल में वर्ष 2019-20 में 52 मामले तथा वर्ष 2020-21 में 51 मामले व निचार उपमण्डल में वर्ष 2019-20 में 51 मामले व वर्ष 2020-21 में 62 मामले दर्ज हुए हैं।
कार्यशाला/प्रशिक्षण में जिले के सुरक्षा अधिकारी, पुलिस अधिकारी व सेवा प्रदात्ता तथा सखी केंद्र कल्पा के पदाधिकारी उपस्थित थे।
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