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सोलन, 16 जनवरी

शूलिनी विश्वविद्यालय, की बैलेट्रिसटिक शूलिनी लव्स लिटरेचर सोसाइटी ने “द लिटरेचर ऑफ पॉलिटिक्स एंड पॉलिटिक्स ऑफ लिटरेचर” पर एक पैनल डिस्कशन का आयोजन किया, जिसमें प्रमुख वक्ता प्रो बूपिंदर बराड़ और पंपा मुखर्जी, पंजाबी विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित शिक्षाविद थे।

चर्चा साहित्य और राजनीति के बीच इंटरफेस पर केंद्रित थी, दो अलग-अलग क्षेत्र जो निस्संदेह एक से अधिक तरीकों से जुड़े हुए हैं। प्रो। बराड़ ने दोनों विषयों के बीच अंतर के बारे में बात की और कहा कि साहित्य राजनीति से प्रभावित होता है और साथ ही साथ, एक युग की राजनीति किस तरह के लेखन का उत्पादन और निर्धारण करती है।

पम्पा मुखर्जी ने विभिन्न ग्रंथों, विशेष रूप से श्री लाल शुक्ल की राग दरबारी के संदर्भ में बातचीत को आगे बढ़ाया, जो स्वतंत्रता के बाद के भारतीय समाज की राजनीति का बोध कराता है। विभाजन से संबंधित और टैगोर लेखन के कार्यों पर भी चर्चा की गई ।

अन्य चर्चाओं में एचपीयू के प्रोफेसर रमेश चौहान और शूलिनी विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के संकाय सदस्य, पूर्णिमा बाली, नीरज पीज़ार और साक्षी सुंदरम शामिल थे।

अंग्रेजी विभाग की प्रमुख प्रो। मंजू जैदका ने बताया कि सत्र अंतःविषय चर्चाओं में सोसायटी का प्रायोगिक क्षेत्र था और आशा व्यक्त की कि इस तरह के और अधिक आयोजन होंगे। उन्होंने आगे कहा कि अगले शुक्रवार के बैलेट्रीसटिक सत्र
एक विशेष विशेय “बेलेटरिस्टिक मेरी-गो-राउंड” पर होगा।