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मंडी, 16 नवंबर : मंडी जिला में कार्यरत्त ईएमआरआई, जीवीके 108 एंबुलेंस सेवा के कर्मचारियों (ऑपरेटिंग स्टाफ) के सामूहिक अवकाश पर जाने व हड़ताल करने पर तुरंत प्रभाव से पाबंदी लगाई गई है। जिलादंडाधिकारी ऋग्वेद ठाकुर ने सोमवार को इस आशय के साथ आदेश जारी किए हैं। हिमाचल प्रदेश आवश्यक सेवाएं (रखरखाव) अधिनियम 1973 की धारा 4 के तहत जारी इस आदेश के मुताबिक ईएमआरआई, जीवीके 108 एंबुलेंस सेवा में कार्यरत्त कर्मचारियों केे सामूहिक अवकाश पर जाने और हड़ताल अथवा आंदोलन करके एंबुलेंस सेवा बाधित करने पर तुरंत प्रभाव से रोक लगाई गई है।
आदेश में कहा गया है कि कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के दृष्टिगत संक्रमित मरीजों को उपचार प्रोटोकॉल के अनुरूप समय पर कोविड केयर केंद्रों और अस्पताल शिफ्ट करना बहुत महत्वपूर्ण है। मरीजों की जान बचाने के लिए समय पर श्ाििफ्टंग सबसे जरूरी है। लेकिन सीएमओ मंडी ने अवगत करवाया है कि जिला में 108 एंबुलेंस सेवा में कार्यरत्त कर्मचारियों द्वारा कोविड मरीजों को लाने-ले जाने से जुड़ी फोन कॉल नहीं सुनी जा रही हैं। जीवीके अधिकारियों से बात करने पर पता चला है कि 108 सेवा के कर्मचारी सामूहिक अवकाश पर हैं। महामारी के दौरान जब कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, कर्मचारियों का सामूहिक अवकाश पर जाना बेहद चिंताजनक है। जबकि कोरोना संक्रमित मरीजों को कोविड केयर केंद्रों और अस्पताल लाने-ले जाने में 108 एंबुलेंस सेवा पर पूर्ण निर्भरता है।
आदेश के मुताबिक ईएमआरआई, जीवीके 108 एंबुलेंस सेवाएं हिमाचल प्रदेश आवश्यक सेवाएं (रखरखाव) अधिनियम 1973 के प्रावधानों के तहत कवर हैं, जोकि आम लोगों को आपात स्थिति में प्रभावित करती हैं। विशेषकर कोरोना महामारी के दौरान लोगों की जान की रक्षा के लिए इनकी अत्यधिक आवश्यकता है।
इस स्थिति में आम जनता व मरीजों को आवश्यक और आपातकालीन सेवाएं प्रदान करने के लिए ईएमआरआई, जीवीके 108 एंबुलेंस सेवा के ऑपरेटिंग स्टाफ के प्रत्याशित सामूहिक अवकाश पर जाने व हड़ताल पर प्रतिबंध लगाना जरूरी है।
इसके अलावा कर्मचारियों को यह भी हिदायत दी गई है कि वे संबंधित अधिकारियों द्वारा दिए गए उनके काम से जुड़े कानून सम्मत आदेशों की अवहेलना न करें। गैरवाजिब कारण व बिना मंजूरी के डियूटी से अनुपस्थित न रहें और जिलादंडाधिकारी की अनुमति के बिना अपने कार्यक्षेत्र से बाहर न जाएं। आदेशों की अवहेलना करने वालों पर हिमाचल प्रदेश आवश्यक सेवाएं (रखरखाव) अधिनियम 1973 के प्रावधानों के अनुसार कानूनी कार्रवाई की जाएगी।