सरकारी जमीन पर अभी भी अतिक्रमण जारी
न्यू टूटू शिमला में ढहाए गये दो मंदिरों का मामला सुलझने में नहीं आ रहा है। मंदिरों को ढहा कर निजी स्वार्थ के लिए बिना किसी सरकारी अनुमति के कुछ लोग मंदिर बनाने की आड़ में अपनी स्वार्थपूर्ति हेतू निर्माण कार्य जारी रखे हुए हैं। ज्ञातव्य है कि स्थानीय पुलिस और जिला प्रशासन ने इन्हें उस समय तक का रोके जाने के लिए कहा था जब तक कि किए जा रहे अतिक्रमण केस का फैंसला नहीं हो जाता। नगर निगम से भी उनको और विद्युत विभाग को 2-3 बार नोटिस जारी किए जा चुके हैं। लेकिन ये नियम और कानून को ठैंगा दिखाते हुए काम जारी रखे हुए हैं। इन्होंने लाखों की उगाही नागरिकों से की है जो अब भी जारी है। दान या चन्दा देने वाले भी यह नहीं देख रहे हैं कि सरकारी जमीन पर बन रहे मंदिर कोई निजी व्यक्ति कैसे बना सकता है। कब तक वे सरकारी जमीन पर बने मंदिर का उपयोग वे कर सकेेगे।
आज भी सरे आम जब निर्माण कार्य चल रहा है तो प्रशासन क्या इसकी अनदेखी नहीं कर रहा है और इसके साथ इस प्रकार की अन्य गैर कानूनी गतिविधियों को भी बढ़ावा तो नहीं दे रहा है। इस प्रकार यदि सरकारी प्रशासन की लापरवाही होती है और नागरिक उनके आदेशों की अवहेलना करते हैं तो क्या अराजकता नहीं फैल जाएगी। उसके बाद क्या होगा, स्मरण मात्र से ही शरीर का सिहर उठना स्वाभाविक है।
बड़ी बात यह कि नगर निगम द्वारा अतिक्रमण करने वाले लोगों को काम रोकने के बारे में नोटिस देने के बावजूद भी काम नहीं रोका। इसके बाद नगर निगम ने विद्युत विभाग को भी नोटिस जारी किए जिसके उपरान्त विद्युत विभाग के अधिकारी ने विद्युत विभाग की जमीन पर अतिक्रमण करने वाले लोगों को समन जारी किए और साथ ही सात दिसम्बर को पुलिस में भी रिपोर्ट कर दी।
आज आवश्यकता इस बात की है कि नियम और कानून का कठोरता से पालन हो, न सरकारी सम्पति को नुकसान हो और न ही कोई सरकार की जमीन पर अतिक्रमण कर अपराध करने की हिम्मत जुटा सकें। फिर भी यहि कोई इस गैर-कानूनी कार्यों में संलिप्त पाया जाता है तो उसे कठोर दण्ड का भागी मानकर दण्ड दिया जाना ही उचित बैठता है। इससे न केवल उसे अपने कर्मोें का फल मिलेगा बल्कि अन्य इस तरह के लोग भी अपराध करने में संकोच करेंगे जिससे समाज और देश की कानून समस्या से प्रशासन निजात पा सकेंगे। देखना यह है कि प्रशासन उक्त लोगों के विरूद्ध क्या कार्यवाही करता है।