अभिभावक संघ शिमला पिछले कई महीनों से विशेषकर मार्च-अप्रैल माह से हिमाचल प्रदेश के लोकप्रिय सरकार से लगातार निवेदन करता आ रहा है कि जिन निजी स्कूलों ने बिना पी. टी. ऐ. की सहमति एवं शिक्षा निदेशालय के दिनांक 05.12.2019 आदेश के विपरीत फीस में वृद्धि की है वे सारे निजी स्कूल इस फीस वृद्धि को रोकें, शीघ्र पी टी ऐ को पुनर्गठित करें, ऑनलाइन क्लास के दौरान के दिनों का एन्युअल चार्जेज ना लें और प्रदेश की लोकप्रिय सरकार जल्द से जल्द निजी स्कूल फीस नियंत्रण कानून पास करने के कारवाही को मूर्त रूप दें। सभी निजी स्कूल शिक्षा निदेशालय द्वारा दिनांक 05.12.2019 को जारी किये गए आदेश का पालन करें। यहाँ पर यह बताना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि हमारे इस अभिभावक संघ ने ऐसा कोई वैध संपर्क नहीं छोड़ा जिससे हमारे हिमाचल प्रदेश के लोकप्रिय सरकार हमारी मांगों पर कुछ गौर करें। हम पिछले कई महीनों से विशेषकर पिछले दो महीने से दर-दर जा कर हरेक ज़िम्मेवार अधिकारी से मिल चुके हैं। आजकल हम लोग कोरोना के कारण फोन पर संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं। परन्तु कभी मीटिंग के व्यतता के नाम पर और नंबर पहचाने जाने के उपरांत सम्बंधित अधिकारी अब फोन भी नहीं उठा रहे हैं। हम लोग अब करें तो क्या करें। अब हमें लगता है कि हमारे पास आखिर में एक ही रास्ता बचा है वह है लोकतांत्रिक अधिकार। हम लोग अब स्थानीय प्रशासन को जानकारी दे कर अपने यथोचित लोकतांत्रिक अधिकार का पालन करने के लिए मजबूर हो सकते है। शिमला कार्यकारिणी के सदस्य क्रमशः रमेश कुमार ठाकुर-अध्यक्ष, श्री हमिंदर धौटा- कन्वीनर, आचार्य सी एल शर्मा-सचिव, श्री हरी शंकर तिवारी-सलाहकार , डॉक्टर संजय-मुख्य संरक्षक, श्री कुलदीप सिंह सड्याल -कोषध्यक्ष, श्री पवन मेहता- मीडिया प्रभारी,जीतेन्द्र यादव-उपाध्यक्ष, श्रीमती कुसुम शर्मा ,श्रीमती रीता चौहान, श्रीमति प्रतिभा, श्री सुरेश वर्मा , श्रीमती हेमा राठौर, श्री ज्ञान चन्द, श्री अम्बीर सिंह सहजेटा, श्रीमति प्रियंका तंवर, तारा चन्द थरमाणि-कुल्लू शाखा एवं कर्यकारिणी के अन्य सदस्य एक स्वर से एक बार फिर मांग करते है कि शिमला प्रशासन , शिक्षा निदेशालय, माननीय शिक्षा मंत्री हिमाचल प्रदेश एवं लोकप्रिय मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश इस मामले में संज्ञान लें और अतिशीघ्र इन निजी स्कूलों के मालिकों द्वारा लगातार किए जा रहे इस एकतरफा फीस बढ़ोत्तरी पर लगाम लगाए। जिससे अभिभावक रूपी साधारण जनता पर लादे जा रहे इस अतिरिक्त वित्तीय बोझ से बचाया जा सके। अन्यथा हमारा यह संघ अंतिम रास्ते के तौर पर यथोचित लोकतान्त्रिक अधिकार का पालन करने के लिए मजबूर हो जायेगा।